महाराष्ट्र में सरकार गंवाने और पार्टी के कई नेताओं के पाला बदलने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी में और टूट से बचने के लिए राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने का ऐलान कर लिया है। उद्धव ठाकरे ने यह निर्णय शिवसेना सांसदों के साथ बैठक के बाद लिया। ठाकरे ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम पर कोई दबाव है। पहले भी राष्ट्रपति पर फैसले हमने आजादी से लिए हैं।
शिवसेना ने आखिरकार राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इसकी औपचारिक घोषणा की।
पहले भी आजादी से फैसले लिए
मुर्मू को पार्टी का समर्थन देने का ऐलान करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह फैसला लेने के लिए मुझ पर किसी का दबाव नहीं है। ठाकरे ने कहा, हमने पहले भी स्वतंत्र रूप से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों पर निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समुदाय के विधायकों सहित कुछ आदिवासी नेताओं ने मुझसे मुलाकात की और मुर्मू का समर्थन करने का अनुरोध किया था।
सांसदों की नाराजगी के बाद बदले सुर?
बता दें कि इससे पहले शिवसेना एमवीए गठबंधन के तहत विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को अपना समर्थन देने का ऐलान कर चुकी थी। लेकिन विधायकों की टूट के बाद अब सांसदों की नाराजगी सामने आने से उद्धव थोड़ा नरम हुए हैं। जानकारी के अनुसार, उद्धव ने पार्टी सांसदों की मीटिंग बुलाई थी। जिसमें 18 में से सिर्फ 13 सांसद ही पहुंचे। सूत्रों के अनुसार, सांसदों ने बैठक में न आकर संदेश देने की कोशिश की थी कि राजद की उम्मीदवार मुर्मू को समर्थन न देकर उद्धव नई मुश्किल खड़ी करने वाले हैं।
राष्ट्रपति उम्मीदवारी पर शिवसेना के पुराने फैसले
इससे पहले 2007 में एनडीए में रहते हुए शिवसेना ने प्रतिभा पाटिल और फिर 2012 में प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। 2007 में रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था और कहा था कि वह अच्छे इंसान हैं। इसलिए उन्हें वोट देंगे। यानी गठबंधन से इतर वोट देने की शिवसेना की पुरानी परिपाटी रही है।