राजनाथ सिंह के ‘अस्सलाम वालेकुम’ बोलने पर भड़क गए थे उद्धव ठाकरे, खुद बताया किस्सा

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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को अपने आवास ‘मातोश्री’ पर पूर्व विधायकों की बैठक में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने उन्हें कॉल किया था और द्रौपदी मुर्मू के समर्थन की अपील की थी। लेकिन उनके फोन उठाने पर उन्होंने जिस तरह से अभिवादन किया, उससे वह भड़क गए थे। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह ने मुझे कॉल कर ‘अस्सलाम वालेकुम’ बोला। इस पर मैंने ऐतराज जताया और कहा कि भले ही हम महाविकास अघाड़ी के साथ सरकार में आ गए हैं, लेकिन हिंदुत्व नहीं छोड़ा है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि ऐतराज जताने के बाद राजनाथ सिंह ने ‘जय श्री राम’ कहा और फिर आगे बात की।

उन्होंने मीटिंग में यह भी कहा कि राजनाथ सिंह जैसे सीनियर नेता की ओर से ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने पर मुझे हैरानी हुई। माना जा रहा है कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी बनाने पर तंज कसते हुए राजनाथ सिंह ने ऐसा कहा होगा। उद्धव ठाकरे ने 2019 में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, जो एकनाथ शिंदे गुट की बगावत तक ढाई साल तक चली। उस सरकार के गठन के बाद से ही शिवसेना पर हिंदुत्व से समझौते के आरोप लगते रहे हैं। भाजपा की ओर से शिवसेना पर हिंदुत्व से समझौते को लेकर हमले किए जाते रहे हैं।

हालांकि हिंदुत्व से समझौता न करने की बात अकसर उद्धव ठाकरे करते रहे हैं। यहां तक कि अपनी आखिरी कैबिनेट मीटिंग में भी उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की थी और औरंगाबाद जिले का नाम संभाजी नगर करने का प्रस्ताव पारित किया था। मराठी मीडिया के मुताबिक पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने 30 से 35 विधायकों की मौजूदगी में यह वाकया बताया। राजनाथ सिंह को एनडीए द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। वह देश भर में अलग-अलग दलों के नेताओं से बात कर रहे हैं और खासतौर पर समान विचारधारा वाले दलों को साथ लाने की कोशिश में जुटे हैं।

शिवसेना ने किया है द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान

गौरतलब है कि मंगलवार सुबह ही संजय राउत ने ऐलान किया था कि शिवसेना ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का फैसला लिया है। इससे पहले शिवसेना के सांसदों ने भी सोमवार को हुई मीटिंग में उद्धव ठाकरे से कहा था कि हमें द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए। हालांकि शिवसेना के इस फैसले से एनसीपी और कांग्रेस के साथ उसके रिश्ते भी प्रभावित हो सकते हैं।

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