वैश्विक स्तर पर फुटबॉल का संचालन करने वाली संस्था ‘फीफा’ ने भारतीय फुटबॉल संघ ‘एआईएफएफ’ को निलंबित कर दिया है। अब आगामी आदेश तक भारतीय फुटबॉल टीम कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलेगी।
क्यों निलंबित हुआ एआईएफएफ ?
भारत में खेल संघों से जुड़े नियमों के अनुसार किसी भी संस्था के शीर्ष पदक पर कोई एक व्यक्ति 12 साल से ज्यादा नहीं रह सकता है। प्रफुल्ल पटेल ने इस पद पर अपने 12 साल पूरे कर लिए थे और वो अब चौथी बार अध्यक्ष नहीं बन सकते थे। इसके बावजूद चुनाव नहीं हो रहे थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया और तीन सदस्यों की एक समिति बनाई, जिसे एआईएफएफ के चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई।
फीफा के नियमों के अनुसार कोई तीसरी पार्टी फुटबॉल से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। सभी फैसले किसी देश का फुटबॉल संघ या फीफा ही कर सकता है, लेकिन भारतीय फुटबॉल में सीओए का हस्तक्षेप जारी था। सीओए ने पहले 12 सदस्यों की एक सलाहकार समिति बनाई, लेकिन फीफा ने इसे मान्य नहीं किया, क्योंकि वह किसी भी तीसरी पार्टी के हस्तक्षेप का विरोध करता है और सीओए तीसरी पार्टी थी।
सीओए ने भारतीय फुटबॉल के चुनाव के लिए नई व्यवस्था बनाई। इसके तहत निर्वाचक मंडल में 36 राज्य संघों के प्रतिनिधि और 36 बड़े खिलाड़ियों को रखा गया, जिसमें 12 महिला और 24 पुरुष खिलाड़ी शामिल थे। फीफा इस बात से सहमत नहीं था कि राज्य संघों के प्रतिनिध के बराबर ही खिलाड़ियों की संख्या हो। इसके बाद फीफा ने भारत को निलंबित कर दिया है। इससे पहले भी फीफा कई देशों के खेल संघों को निलंबित कर चुका है।
कैसे हुई शुरुआत, कौन जिम्मेदार ?
इस पूरे मामले की शुरुआत प्रफुल्ल पटेल का कार्यकाल पूरा होने के साथ ही हुई थी। अगर प्रफुल्ल समय रहते अपना पद छोड़ते और चुनाव कराते तो इस मामले की शुरुआत नहीं होती। आगे चलकर सीओए ने भी चुनाव कराने में देरी की और सलाहकार समिति बनाने में भी अपना समय जाया किया। इस बीच प्रफुल्ल पटेल ने भी राज्य संघों के प्रतिनिधियों से बात की और उनका समर्थन लेने की कोशिश की। ताकि संविधान में बदलाव करवाकर वो फिर से अध्यक्ष बन सकें। इस बीच सीओए का हस्तक्षेप ज्यादा हुआ तो फीफा ने निलंबन लगा दिया।
निलंबन का क्या होगा असर ?
फीफा से निलंबित होने के बाद भारतीय फुटबॉल संघ अस्थायी रूप से बैन हो चुका है। अब भारत की पुरुष और महिला फुटबॉल टीम कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलेगी। भारत में फीफा से जुड़ा कोई आयोजन नहीं होगा। भारत में होने वाली सभी फुटबॉल लीग को फीफा अमान्य करार देगा। इसका मतलब है डुरंड कप को भी फीफा मान्य नहीं करेगा। अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी भी भारत से छिन सकती है।
कैसे खत्म होगा निलंबन ? फीफा शुरुआत से ही इस मामले पर कहता रहा है कि भारतीय फुटबॉल संघ में जल्द से जल्द चुनाव होने चाहिए। फीफा का निलंबन खत्म कराने का यही एकमात्र तरीका है। जैसे ही एआईएफएफ के चुनाव पूरे होते हैं और नया अध्यक्ष चुना जाता है तो फीफा अपना निलंबन हटा लेगा। इसके बाद भारत अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी भी कर पाएगा।
यह निलंबन भारत के लिए वरदान या अभिशाप ?
फीफा से निलंबित होना भारतीय फुटबॉल के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। लगातार हुई अनियमितता और फीफा की चेतावनी की अनदेखी के चलते एआईएफएफ निलंबित हुआ है। हालांकि, अब भारतीय फुटबॉल के पास नई शुरुआत करने का मौका है। फीफा के नियमों के अनुसार संविधान में संसोधन किया जा सकता है और फिर से चुनाव कराए जा सकते हैं। चुनाव पूरे होने पर निलंबन खत्म होगा और भारतीय फुटबॉल संघ को फिर से मान्यता मिल जाएगी।