मनी ट्रांसफर करने के कई तरीके हैं जिनमें एनईएफटी और आरटीजीएस सबसे प्रमुख हैं. दूसरे के खाते में पैसा भेजने का यह सबसे सुविधाजनक प्रोसेस है, लेकिन इसमें भी कभी देर हो जाती है या पैसा अटक जाता है.
इसकी कुछ वजह होती है. ऐसे में सवाल है कि जब लाभार्थी के बैंक खाते में आरटीजीएस और एनईएफटी से पैसे जमा न हों तो बैंकों को जुर्माना देना होता है? तो आइए इसके नियमों को जान लेते हैं.
NEFT
एनईएफटी से पैसे भेजने के बाद ट्रांसफर सेटल करने के लिए 2 घंटे का समय मिलता है. यानी तुरंत या कुछ देर में मनी ट्रांसफर नहीं हो, तो भी दो घंटे तक इंतजार का नियम है. इस दो घंटे में लाभार्थी के खाते में पैसा जमा होना ही है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो जिस बैंक में पैसा ट्रांसफर हुआ है, उस बैंक को उस ब्रांच में पैसा वापस करना होता है जहां से मनी ट्रांसफर किया गया था. ऐसी स्थिति तब होती है जब किसी कारण से लाभार्थी के बैंक में पैसा जमा नहीं हो पा रहा हो.
जुर्माना
एनईएफटी के लिए रिजर्व बैंक का नियम कहता है, बैच सेटलमेंट के बाद 2 घंटे के भीतर अगर लाभार्थी के खाते में एनईएफटी ट्रांजैक्शन का पैसा जमा नहीं होता है, तो बैंक को ग्राहक (जिसने पैसा भेजा है) ब्याज के साथ जुर्माना देना होता है. मौजूदा आरबीआई एलएएफ रेपो रेट के साथ 2 परसेंट ब्याज देना होता है. यह पैसा कस्टमर के खाते में जमा होगा. चाहे वह इसके लिए क्लेम करे या नहीं. आरबीआई का एलएएफ रेपो रेट अभी 4.90 परसेंट है जिसमें 2 परसेंट ब्याज जोड़ने के बाद ग्राहक के खाते में 6.90 फीसद के हिसाब से जुर्माना देना होगा.
RTGS का नियम
आरटीजीएस का सामान्य नियम तो यही कहता है कि पैसा भेजने के रियल टाइम में ही उसका ट्रांसफर होना चाहिए. एक नियम यह भी है कि लाभार्थी के जिस बैंक में पैसा ट्रांसफर होता है, उस बैंक को लाभार्थी के खाते में आधे घंटे के अंदर पैसा जमा करना होता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो मनी ट्रांसफर किए जाने के एक घंटे के अंदर मनी ट्रांसफर करने वाले खाते में पैसा वापस करना होता है. अगर पैसा वापस नहीं हो, तो आरटीजीएस में भी जुर्माना लगाने का प्रावधान है. एनईएफटी जैसा नियम है. रेपो रेट का 4.90 परसेंट और 2 परसेंट जुर्माने के साथ मनी ट्रांसफर करने वाले ग्राहक को 6.90 फीसद के हिसाब से जुर्माना देना होता है.
कैसे करें शिकायत
अगर समय पर मनी ट्रांसफर न हो और खाते में पैसा जमा नहीं हो तो ग्राहक अपने बैंक या उसकी ब्रांच में शिकायत कर सकता है. इसके लिए फोन किया जा सकता है, या अपने रजिस्टर्ड ईमेल आईडी से मेल भेजा जा सकता है. अपनी शिकायत में ग्राहक को यूटीआर नंबर जरूर लिखना होता है.