युद्ध में लगातार मिल रही हार के बाद अब पुतिन ने अपने सबसे कुख्यात जनरल को यूक्रेन की कमान सौंप दी है। पुतिन का ये जनरल अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात है और यूक्रेनी शहर मारियुपोल में तबाही मचा चुका है।
वहीं, पिछले हफ्ते राष्ट्रपति पुतिन ने सैन्य लामबंदी की घोषणा की थी और अब मिखाइल मिजिनत्सेव को उप रक्षा मंत्री बनाया गया है, जो 60 साल के हैं और वो कर्नल जनरल दिमित्री बुल्गाकोव का स्थान लेंगे। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, मॉस्को में रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि, सेना के जनरल दिमित्री बुल्गाकोव को उप रक्षा मंत्री के पद से मुक्त कर दिया गया है।
मिखाइल मिजिनत्सेव के हाथ यूक्रेन की कमान
रूसी रक्षा मंत्रालय का हवाला देते हुए रूसी समाचार एजेंसी TASS ने जो खबर दी है, उसके मुताबिक ,जनरल दमित्री अब तक यूक्रेन युद्ध में रूसी लॉजिस्टिक्स का काम देख रहे थे, जिस मोर्चे पर रूस को भारी नुकसान हुआ है और रसद सामग्री की आपूर्ति में भयानक गड़बड़ी की वजह से ही रूस को युद्ध में भीषण नुकसान का सामना करना पड़ा। वहीं, रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, राष्ट्रपति पुतिन ने दिमित्री बुल्गाकोव को सजा दी है। वहीं, नये उप रक्षा मंत्री मिखाइल मिजिनत्सेव के खिलाफ पहले से ही मारियुपोल में भीषण क्रूरता दिखाने के लिए ब्रिटेन की तरफ से प्रतिबंध लगे हुए हैं। वहीं, कई रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि, सीरिया के अलेप्पो में रूस ने जो भीषण बमबारी की थी, उसका नेतृत्व मिखाइल मिजिनत्सेव ने ही किया था, जिसकी वजह से ही ब्रिटेन ने उनपर प्रतिबंध लगा दिया था। 60 वर्षीय मिखाइल मिज़िंतसेव, जिन्हें ‘मारियुपोल का कसाई’ कहा जाता है।
यूक्रेन में रूस ने बदला है प्लान
आपको बता दें कि, रूस ने यूक्रेन युद्ध के बीच जीते गये इलाकों में जनमत संग्रह शुरू कर दिया है और इस जनमत संग्रह के द्वारा फैसला किया जाएगा, कि यूक्रेन के ये चार क्षेत्र रूस में मिलाए जाएंगे या नहीं। हालांकि, यूक्रेन ने इस जनमत संग्रह को खारिज कर दिया है और उसे नाजायज बताकर नकार दिया है, लेकिन अगर मॉस्को को इस जनमत संग्रह में जीत मिलती है, तो यूक्रेन के हिस्से की 15 प्रतिशत क्षेत्र पर रूस कब्जा कर लेगा और उन क्षेत्रों को रूस अपने देश में विलय कर लेगा। इससे पहले रूस ने 2014 में भी यूक्रेन पर हमला किया था और जनमत संग्रह के बाद उसके क्रीमिया क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था, जिसपर आज भी रूस का ही नियंत्रण है और अब 2014 के बाद से मास्को समर्थित अलगाववादियों द्वारा नियंत्रित लुहान्स्क और डोनेट्स्क, दक्षिणी खेरसॉन और जापोरिजिया प्रांत में मतदान किए जा रहे हैं और ये मतदान 27 सितंबर तक चलेगा।
और खतरनाक होगा सैन्य अभियान
लुहान्स्क और डोनेट्स्क को पहले ही रूस स्वतंत्र राज्य के तौर पर मान्यता दे चुका है और इन्हीं दोनों क्षेत्रों को बचाने के नाम पर रूस ने यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू किया था। इन दोनों क्षेत्रों पर पहले से ही रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण था, जिनकी लगातार यूक्रेनी सैनिकों के साथ संघर्ष चलती रहती थी और इस साल 24 फरवरी को पुतिन ने जब यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान चलाने का आदेश दिया था, तो उन्होंने कहा था, कि लुहान्स्क और डोनेट्स्क की तरफ स्वतंत्र राज्य हैं और उन्होंने रूस से सैन्य मदद मांगी है, लिहाजा यूएन के कानून के तहत रूस लुहान्स्क और डोनेट्स्क की सैन्य मदद कर रहा है, जिसका उद्येश्य यूक्रेन का विसैन्यीकरण करना है।
युद्ध में पुतिन का नया प्लान क्या है?
लुहांस्क के क्षेत्रीय गवर्नर सेरही हैदाई ने यूक्रेन के टीवी को बताया कि, “अगर यह सब रूस का घोषित क्षेत्र है, तो वे घोषणा कर सकते हैं कि यह रूस पर सीधा हमला है।’ जानकारों का कहना है कि, ये जनमत संग्रह इसलिए करवाए जा रहे हैं, क्योंकि जनमत संग्रह करवाने के बाद इन चारों क्षेत्रों की रूस में विलय की घोषणा की जाएगी और उन क्षेत्रों से यूक्रेनी सैनिकों को बाहर निकाला जाएगा और अगर यूक्रेनी सैनिक रूसी सैनिकों पर वार करते हैं, तो रूस इसे अपने क्षेत्र पर यूक्रेन का आक्रमण बतााएगा और रूस इस दलील के साथ आधिकारिक तौर पर यह कहकर यूक्रेन से युद्ध का ऐलान कर देगा, कि यूक्रेन ने रूसी क्षेत्र पर हमला किया है और रूस उस हमले के खिलाफ सिर्फ प्रतिक्रिया दे रहा है। वहीं, OSCE, जो चुनावों की निगरानी करता है, उसने कहा कि, परिणामों का कोई कानूनी बल नहीं होगा क्योंकि वे यूक्रेन के कानून या अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हैं और उन क्षेत्रों में लड़ाई जारी है जहां वोट हो रहे हैं।