ईरान ने कुछ दिन पहले ही भारत को 30 प्रतिशत हिस्सेदारी देने की पेशकश की थी. इसको लेकर भारतीय कंपनियों ने भी रुचि दिखाई थी और ईरान के साथ सझेदारी भी करना चहता था, लेकिन अमेरिका ने ईरान के साथ ऑयल ट्रेड के आरोप में भारतीय कंपनियों सहित चीन, हांगकांग और संयुक्त अरब अमीरात स्थित कई कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं.
अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान की ऑयल इकनॉमी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है और बाकि देशों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है.
क्या है बैन की मुख्य वजह?
अमेरिका ने ईरानी कंपनियों के पेट्रोलियम और पेट्रो-केमिकल प्रोडक्टों की ढुलाई और उनके वित्तीय लेन-देन को आसान बनाने के लिए भारत, चीन, हांगकांग और संयुक्त अरब अमीरात में मौजूद कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. अमेरिका ने विशेष रूप से चीन के दो कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रो-रसायन उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंधों से बचने के प्रयासों पर काबू के लिए अमेरिका कार्रवाई कर रहा है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय विशेष रूप से चीन में मौजूद दो कंपनियों- झोंगगू स्टोरेज एंड ट्रांसपोर्टेशन कंपनी लिमिटेड और डब्ल्यूएस शिपिंग कंपनी लिमिटेड पर प्रतिबंध लगा रहा है.
कितनी कंपनियां बैन में हैं शामिल?
एंटोनी ब्लिंकन ने एक बयान में कहा कि वित्त विभाग ईरान के साथ पेट्रो-रसायन व्यापार करने के लिए आठ अन्य कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा रहा है. जो हांगकांग, ईरान, भारत और संयुक्त अरब अमीरात में मौजूद हैं. बयान के अनुसार, भारत की पेट्रो-रसायन कंपनी ‘तिबालाजी पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड’ पर प्रतिबंध लगाया गया है.