मुंबई : खाद्य पदार्थों में आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जो कि स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित होता है। इस रंग का इस्तेमाल अधिकतर गोभी मंचूरियन, कॉटन कैंडी या फिर चाइनीज खाद्य पदर्थों में किया जाता है, जिसे बच्चे अधिक खाते हैं। इसके नुकसान को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने कॉटन कैंडी और गोभी मंचूरियन डिश पर आर्टिफिशियल रंगों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। लोगों को बेचे जाने वाले गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी के नमूने राज्यभर से एकत्र किए गए और राज्य प्रयोगशालाओं में उसकी जांच की गई। इस बारे में कर्नाटक के एक अधिकारी ने बताया कि गोभी मंचूरियन के १७१ नमूने एकत्र किए गए, जिनमें से १०७ नमूनों में असुरक्षित आर्टिफिशियल रंग मिले हुए थे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि गोभी मंचूरियन के १७१ सैंपल में १०७ असुरक्षित पाए गए। इस बीच कुल २५ कॉटन वैंâडी के सैंपल में से १५ असुरक्षित पाए गए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि खाद्य पदार्थों में टार्ट्राजिन, कार्मोइसिन, सनसेट येलो और रोडामाइन-१बी जैसे कृत्रिम कलर होने से इनका उपयोग नमूनों में किया गया था। कर्नाटक सरकार ने इस आदेश में कहा कि भोजन में कृत्रिम रंगों के लंबे समय तक उपयोग और इसके सेवन से वैंâसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है। लिहाजा लोगों को खानपान में किसी भी कृत्रिम रंग का उपयोग न करने या सीमित मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी गई है।
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, २००६ के दिशानिर्देश ३(१) के तहत कृत्रिम रंग असुरक्षित हैं। खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, २०११ के नियम १६.० के अनुसार, गोभी मंचूरियन व्यंजन तैयार करने के लिए किसी भी प्रकार के आर्टिफिशियल रंग का उपयोग नहीं होना चाहिए। कर्नाटक सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को देखते हुए गोभी मंचूरियन और कॉटन वैंâडी में आर्टिफिशियल कलर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसे कम से कम सात साल का जेल और १० लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है।
स्वास्थ्य को होता है गंभीर नुकसान
कलर एडिटिव्स वाले उत्पादों के नियमित उपयोग से कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा होती हैं जैसे कि वे फैटी एसिड के ऑक्सीकरण, त्वचा में जलन और किडनी में जमाव का कारण बनते हैं। जबकि कुछ कृत्रिम खाद्य रंगों का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि वे जहरीले नहीं होते हैं। लेकिन कुछ में कैंसर पैदा करने वाले तत्व होते हैं।