मुंबई – बीते कई महीनों से दवाओं की किल्लत से जूझ रहे टीबी रोगियों को कुछ हद तक राहत देने की कोशिश शिंदे सरकार ने की है। इसके तहत पूरे राज्य के सरकारी अस्पतालों में अगले एक महीने तक टीबी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक कर दिया गया है। ऐसे में आरोप लग रहे हैं कि सरकार ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है। हालांकि, मौजूदा समय में केवल एक महीने तक का ही स्टॉक है। इसे देखते हुए जैसे ही चुनाव खत्म हो जाएंगे वैसे ही टीबी मरीजों को फिर से दवाइयों के लिए भटकना पड़ेगा। इससे बचने के लिए केंद्र सरकार ने लोकल पर्चेस का आदेश दिया हुआ है, लेकिन शिंदे सरकार इस पर अमल करती हुई नहीं दिखाई दे रही है।
उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले महाराष्ट्र समेत देश टीबी रोधी दवाओं की कमी से जूझ रहा था। केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने टीबी की दवाओं की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है। अभी भी एक महीने के लिए चार एफडीसी और तीन एफडीसी दवाओं का इतना स्टॉक है कि मार्च या अप्रैल के अंत तक काम चल सके। अगर अगले कुछ दिनों में दवाओं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं कराया गया, तो केंद्र सरकार की टीबी मुक्त भारत योजना बाधित होने की संभावना है। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों को स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद राज्यों को बड़े संकट का सामना करना पड़ता है, क्योंकि ये दवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं हैं। कुछ महीने पहले महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, उड़ीसा, बिहार और छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में टीबी की दवाओं की कमी हो गई थी। इस संबंध में देश में टीबी विरोधी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाज उठाई थी। इस पर ध्यान देते हुए केंद्र सरकार ने टीबी अभियान को और अधिक कुशलता से लागू करने के लिए तुरंत टीबी रोधी दवाओं की खरीद शुरू कर दी। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर टीबी रोधी दवाओं की खरीद प्रक्रिया शुरू की गई। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद आपूर्तिकर्ताओं को खरीद के आदेश भी जारी कर दिए गए।