मुंबई। एक कहावत है – ‘गरीब की जोरू, गांव की भौजाई’। आजकल महाराष्ट्र में ये कहावत कांग्रेस पर सटीक बैठती दिखाई दे रही है। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस की परंपरागत सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। अब कांग्रेस से न रोते बन रहा है, न गाते।
बात ज्यादा पुरानी नहीं है। देश में मोदी लहर उठने से पहले साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जिस कांग्रेस-राकांपा गठबंधन ने मुंबई की सभी लोकसभा सीटें जीतकर शिवसेना-भाजपा गठबंधन का सफाया कर दिया था। बुधवार को अपने लिए उसी मुंबई की सीटें घोषित करते समय शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने उसी कांग्रेस-राकांपा से पूछा तक नहीं। जबकि अब उद्धव ठाकरे की पार्टी का गठबंधन कांग्रेस-राकांपा से है और उस भाजपा के खिलाफ हैं, जिसके सहयोग से साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वह 18 सीटों के अपने सर्वोच्च आंकड़े तक जा पहुंची थी।