नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग से पूछा कि क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ या दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कार्यालय आदेश के उल्लंघन का प्रावधान है. ईवीएम मशीन और वीवीपैट मशीन को लेकर दायर याचिका पर आज जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता के सामने सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ने वीवीपैट पर्ची के 100 फीसदी सत्यापन की मांग की थी. चुनाव आयोग ने कोर्ट को जवाब दिया कि इस तरह से सभी पर्चियों की जांच करने में 12 दिन लगेंगे.
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मतदाताओं को मतपेटी में पर्चियां खुद डालने की सुविधा मिलनी चाहिए. वर्तमान में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में केवल 5 ईवीएम वोट वीवीपैट पर्ची से मेल खाते हैं। चुनाव आयोग ने 24 लाख वीवीपैट खरीदने पर 5000 करोड़ रुपये खर्च किये और उसे इसका इस्तेमाल करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से इस संबंध में लिखित जानकारी देने को कहा है. याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट. प्रशांत भूषण ने मामले की पैरवी की. हालांकि, कोर्ट ने उनके द्वारा उठाए गए बैलेट पेपर से चुनाव कराने के मुद्दे को खारिज कर दिया और दोबारा इस पर न जाने की बात कही. हमें सिस्टम पर बहुत संदेह है. इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसी टिप्पणी की.