म्यांमार – म्यांमार में इस्लामिक आतंकवादी समूहों ने 1600 से अधिक हिंदुओं और 120 बौद्धों को बंधक बनाकर रखा है। दुखद यह है कि इन पर हो रहे मानवीय अत्याचार के खिलाफ अब तक कोई भी अंतरराष्ट्रीय संस्था की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है । यूएन एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं तो छोड़िए, जिनका काम ही मानवाधिकारों की रक्षा करना है, उसके हित में काम करना है और जो छोटी-छोटी बातों को भी कई बार तूल देकर वैश्विक रूप देने एवं किसी के भी खिलाफ माहौल बनाने में महारत रखती हैं, वह संस्थाएं भी इस विषय पर चुप्पी साधकर बैठी हैं, जैसे कि हिन्दू और बौद्धों के साथ होनेवाला यह अत्याचार कोई खबर ही न हो!
देखा जाए तो पहले भी जब 2017 में रोहिंग्या आतंकी समूहों ने रखाइन राज्य में महिलाओं और बच्चों सहित 99 हिंदुओं का नरसंहार किया था, तब भी यह खबर तुरंत सामने नहीं आ सकी थी, किंतु रोहिंग्याओं ने इस घटना को अंजाम देते वक्त जिन हिन्दू महिलाओं और बच्चों को जबरन कलमा पढ़वाकर इस्लाम में कन्वर्ट किया और इन्हीं में से कुछ किसी तरह से भागने में कामयाब रहीं, तब इन महिलाओं की दुखद कहानियों से दुनिया को पता चला था कि ये रोहिंग्या इस्लाम को हर हाल में अधिक से अधिक फैलाने के लिए काम करनेवाले और दूसरे धर्मों के प्रति कितने क्रूर हैं।
म्यांमार की सरकार ने रोहिंग्याओं द्वारा एक के बाद एक अनेक हत्याकांडों को अंजाम देने और बढ़ते अत्याचार को देखते हुए अपने देश में सख्त कानून बनाए और उन्हें सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया, जिसमें प्रमुख तौर पर विवाह, परिवार नियोजन, आंदोलन की स्वतंत्रता, रोजगार, शिक्षा, धार्मिक पसंद-नापसंद पर बने कानूनों को देखा जा सकता है। अब इन कानूनों के पालन में ये रोहिंग्या फिट नहीं बैठ रहे थे तो इन्होंने यहां से पलायन करना आरंभ किया और इस पर पूरा आरोप म्यांमार की सरकार पर थोप दिया कि वह इन्हें यहां रहने नहीं दे रही है। फिर दुनिया भर में इनकी दयनीय तस्वीरें छपने लगीं। ये रोहिंग्या, शरणार्थी का दर्जा लेकर और कई देशों में अवैध तरीके से घुस गए। फिर देखते ही देखते कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार से जुड़ी संस्थाएं स्यापा करने लगीं कि हाय, इन रोहिंग्याओं के साथ म्यांमार की बौद्ध सरकार कितना बुरा बर्ताव कर रही है। लेकिन, हकीकत यही है कि अपनी आदत की मुताबिक ये जहां भी गए, वहीं इन्होंने अराजकता और हिंसा फैलाना जारी रखा है।
वास्तव में म्यांमार में दमन के बाद करीब एक दशक में रोहिंग्या मुस्लिम भारत, नेपाल, बांग्लादेश, थाईलैंड, इंडोनेशिया, पाकिस्तान समेत 18 देशों में पहुंचे। एशिया में जिन देशों में इनकी घुसपैठ हुई, उनमें से छह देशों की सरकारों के लिए ये परेशानी का सबब बने हुए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आज भारत है । यहां भारत में यह हिंसा, अपराध और आतंकवादी गतिविधियां कर रहे हैं। वर्तमान में भारत का कोई राज्य नहीं बचा, जहां इनकी घुसपैठ न हो । दिल्ली से सटे हरियाणा के मेवात (नूंह), उत्तराखण्ड के हल्द्वानी, बनभूलपुरा इलाके में हुए दंगों को अभी बहुत समय नहीं बीता है, इस हिंसा में रोहिंग्या मुसलमानों के हाथ होने की बात सामने आ चुकी है। नूंह की हिंसा में शामिल दो रोहिंग्या युवकों सैफुल्ला और महबूब समेत कई अन्य अब तक एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए हैं। प्रतिबंधित कट्टरपंथी पीएफआई संगठन से इनके संबंधों की तस्दीक हो चुकी है। बेंगलुरु में भी इनकी अवैध बसाहट संकट पैदा कर रही है।