नवी दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट बुधवार को वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ ईवीएम का उपयोग करके डाले गए वोटों की क्रॉस-वेरिफिकेशन की मांग करने वाली याचिकाओं और आवेदनों पर निर्देश जारी करेगी. शीर्ष अदालत आवेदन दाखिल करने वाले बचे हुए पक्षकारों की दलीलों पर भी गौर कर निर्देश जारी कर सकती है. वीवीपीएटी एक स्वतंत्र वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है, जिसमें वोटर यह देख सकता है कि उनका वोट सही तरीके से पड़ा है या नहीं.
ईवीएम मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमें तीन से चार स्पष्टीकरण चाहिए. उन्होंने पूछा, क्या माइक्रो कंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में होता है या फिर ईवीएम में, सिंबल लेबल यूनिट कितनी हैं, चुनाव याचिका दाखिल करने की समय सीमा 30 दिन होती है तो ईवएम सहेजने की समय सीमा 45 दिन या कम होती है, चिप कहा रहती है, क्या चिप का एक बार ही इस्तेमाल होता है, ईवीएम और VVPAT क्या दोनों को मतदान के बाद सील किया जाता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार से पांच पॉइंट हैं, जिसके जवाब चाहिए. कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारी से इसका जवाब मांगा है. मामले में दो बजे फिर सुनवाई होगी.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ उन याचिकाओं पर निर्देश सुनाने वाली है जिनमें शीर्ष अदालत ने 18 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रख लिया था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह एक चुनावी प्रक्रिया है. इसमें पवित्रता होनी चाहिए. किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जो कुछ संभावनाएं बनती हैं, वह नहीं किया जा रहा है. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया था कि ईवीएम सिस्टम में बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट जैसे तीन घटक होते हैं. दरअसल, याचिकाकर्ताओं में से एक एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने वीवीपैट मशीनों पर ट्रांसपेरेंट ग्लास को अपारदर्शी ग्लास से बदलने के चुनाव आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की मांग की है. इसके जरिए वोटर केवल लाइट ऑन होने पर केवल सात सेकंड तक पर्ची देख सकता है.