नई दिल्ली – देश में इस समय लोकसभा चुनाव जोरों पर है. अलग-अलग जगहों पर सात चरणों में वोटिंग होगी और नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे. सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में चुनाव भी उतने ही बड़े होते हैं. इस चुनाव में हजारों रुपये खर्च किये जा रहे हैं.
गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने दावा किया है कि इस साल के लोकसभा चुनाव में 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. यह रकम 2019 के चुनाव में हुए खर्च से दोगुनी है. एनजीओ के मुताबिक पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में करीब 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. संगठन के अध्यक्ष एन भास्कर राव ने कहा कि इस समावेशी व्यय में राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, सरकार और चुनाव आयोग सहित चुनाव से संबंधित सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष व्यय शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह संस्था पिछले 35 वर्षों से चुनाव खर्चों पर नज़र रख रही है। राव ने आगे कहा कि हमने शुरुआत में लागत का अनुमान 1.2 लाख करोड़ रुपये लगाया था. लेकिन, चुनावी बांड के खुलासे के बाद हमने यह आंकड़ा 1.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया है.
सोसाइटी फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के हालिया अवलोकन से भारत में राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की भारी कमी का पता चला है। इसमें दावा किया गया कि 2004-05 से 2022-23 तक देश के छह प्रमुख राजनीतिक दलों को लगभग 60 प्रतिशत धनराशि (कुल 19,083 करोड़ रुपये) अज्ञात स्रोतों से मिली, जिसमें चुनावी बांड से प्राप्त धन भी शामिल है।