नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति के मामले में ईडी की जांच में लिए गए समय पर सवाल उठाया और कहा कि उसने चीजों को सामने लाने में दो साल लगा दिए. वहीं केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक सबूत नष्ट करने और 100 करोड़ रुपये हवाला के ज़रिए भेजने के आरोप हैं. इसके जवाब में जजों ने कहा कि 100 करोड़ प्रोसिड्स ऑफ क्राइम है, लेकिन घोटाले को 1100 करोड़ का बताया जा रहा है. इतनी बढ़त कैसे हुई. वहीं ईडी ने कोर्ट में केजरीवाल की याचिका का विरोध करते हुए कई दलील दी है.
ईडी ने कहा कि जांच की शुरुआत में केंद्र में केजरीवाल नहीं थे. जांच के क्रम में उनका नाम निकल कर सामने आया. यह कहना गलत है कि हमने केजरीवाल को निशाना बनाने के लिए गवाहों से विशेष रूप से उनके बारे में सवाल किए. गवाहों की तरफ से मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए धारा 164 के बयान को देखा जा सकता है. ईडी की दलील पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि आपने सभी पहलुओं को दर्ज करते हुए केस डायरी बना रखी होगी और इसे हम देखना चाहेंगे. जजों ने कहा कि हमारे पास सीमित सवाल है. वह यह है कि क्या गिरफ्तारी में PMLA सेक्शन 19 का सही तरीके से पालन हुआ, लेकिन पहली गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल को गिरफ्तार करने में 2 साल का समय लग जाना सही नहीं लगता.