भारत-पाकिस्तान मैच में टॉस क्यों अहम?

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मुंबई – 2007 में टी-20 विश्व कप का ओपनिंग एडिशन खेला गया था। साउथ अफ्रीका में खेले गए उस वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान के बीच दो बार टक्कर हुई। पहली बार लीग स्टेज में तो दूसरा घमासान फाइनल में। दोनों मैच भारत ने जीते, उसके बाद से अब तक खेले गए वर्ल्ड कप के सात एडिशन में दोनों टीम पांच बार टकराई। आपको जानकर हैरानी होगी कि पांचों बार पांचों बार सेकेंड बैटिंग करने वाली टीम जीती है। 2021 में पाकिस्तान ने भारत को एकमात्र वर्ल्ड कप मैच भी रनचेज करते हुए ही हराया था। यानी सेकेंड बैटिंग करने वाली टीम ने 71% मैच जीते हैं। अगर ओवरऑल टी-20 रिकॉर्ड की बात की जाए तो भी भारत-पाक के बीच कुल 12 में से नौ बार दूसरी दफे बैटिंग करने वाली टीम को ही जीत मिली है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कल न्यूयॉर्क में होने वाले विश्व कप 2024 के महामुकाबले का विजेता टॉस का सिक्का ही तय करेगा।

अमूमन टी-20 फॉर्मेट में अधिकतर मुकाबले रात में शुरू होते हैं, जहां सेकंड बैटिंग करने वाली टीम को ओस के कारण फायदा मिलता है क्योंकि गेंद गीली होने की वजह से बॉलर न तो ग्रिप बना पाता है और न ही गेंद पर कंट्रोल रख पाता है, ऐसे में बल्लेबाज खराब गेंदों पर खुल के शॉट्स खेलते हैं। वैसे 9 जून को होने वाला भारत-पाकिस्तान मैच स्थानीय समयानुसार दिन में खेला जाएगा, लेकिन IST के मुताबिक भारत में रात 8 बजे से शुरू होगा।

भारत-पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क है। दोनों के बीच पॉलिटिकल लड़ाई और सीमा संबंधी विवाद के चलते ये मुकाबले चिर प्रतिद्वंद्विता वाले हो जाते हैं। हाई प्रेशर मैच में दबाव अक्सर पहले बैटिंग करने वाली टीम पर ज्यादा होता है क्योंकि बाद में बैटिंग करने वाली टीम को लक्ष्य पता होता, उसके हिसाब से पारी को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है और लक्ष्य देने से ज्यादा लक्ष्य साधना आसान लगने लगता है।

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