पटना – बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। तीन विधायक, जीतन राम मांझी, सुधाकर सिंह और सुदामा प्रसाद ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है। ये तीनों नेता अब लोकसभा पहुंच चुके हैं। जीतन राम मांझी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के बड़े नेता हैं और एनडीए के साथी हैं। सुधाकर सिंह राजद से रामगढ़ सीट से विधायक थे। वहीं, सुदामा प्रसाद सीपीआई के टिकट पर तरारी से विधायक बने थे। तीनों ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष को अपना त्यागपत्र सौंप दिया।
इसी बीच बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ठाकुर 25 अगस्त, 2022 को सभापति बने थे। इससे पहले वे तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। 2002 में वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते थे, जबकि 2008 में उन्होंने जदयू के टिकट पर जीत हासिल की थी। 2008 में वे आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री भी रहे थे। ठाकुर 2014 में फिर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद पहुंचे। 2020 में उन्होंने जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की। अब सीतामढ़ी से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता छोड़ दी है।
तीन विधायकों के इस्तीफे के बाद बिहार विधानसभा में पार्टियों की स्थिति भी बदल गई है। दोनों गठबंधनों एनडीए और ‘इंडिया’ से दो-दो विधायक कम हो गए हैं। बिहार विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं। सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों का समर्थन चाहिए। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को फरवरी में हुए शक्ति परीक्षण में 129 विधायकों का समर्थन मिला था। उस समय राजद के तीन विधायक नीतीश कुमार के पक्ष में चले गए थे। हालांकि, जब आरजेडी ने स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया, तो सरकार के साथ सिर्फ 125 विधायक ही खड़े दिखे। विपक्ष के साथ 112 विधायक थे।