वाराणसी – श्री काशी विश्वनाथ धाम में गुरूवार को 06वां “श्री नंदीश्वर उत्सव” उल्लास से मनाया गया। मंदिर न्यास के न्यासी वेंकट रमण घनपाठी ने प्रधान आचार्य अर्चक की भूमिका निभाई। श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण,डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण ने यजमान के रूप में षष्टम् “श्री नंदीश्वर उत्सव” समारोह के याजक की भूमिका का निर्वाह किया। देर शाम तक मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चलता रहा।
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर में नंदी की प्रत्येक प्रदोष तिथि पर 11 अर्चकों द्वारा विधिपूर्वक आराधना हो रही है। धाम में नित नवीन सनातन नवाचारों की श्रृंखला में प्रदोष तिथि 05 मई 2024 को “प्रथम नंदीश्वर उत्सव”, 20 मई 2024 को ” द्वितीय नंदीश्वर उत्सव “, 04 जून 2024 को “तृतीय नंदीश्वर उत्सव”, 19 जून 2024 को “चतुर्थ नन्दीश्वर उत्सव”, 03 जुलाई, को पंचम “श्री नंदीश्वर उत्सव” मनाया गया। पूर्व से ही प्रदोष तिथि पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भजन संध्या शिवार्चनम का निरंतर आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि नंदीश्वर पूजा का महत्व हमारे वेदों और शास्त्रों में बहुत ही विशेष बताया गया है। हम जो भी प्रार्थना भगवान से करते है वो नंदीश्वर ही भगवान तक पहुंचाते है। इसलिए नंदी भगवान का पंचामृत से रुद्र सूक्त के द्वारा अभिषेक और पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। नंदी आराधना से भक्त का मन स्थिर रहता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मान्यता है कि प्रदोष काल में प्रथम पूजन नंदी भगवान का करना चाहिए, इस से भगवान शिव भी प्रसन्न होते है।
ऋषि शिलाद के पुत्र ही नंदी कहलाए जो भगवान शिव के परम भक्त, गणों में सर्वोत्तम और महादेव के वाहन बने। भगवान शिव ने नंदी की भक्ति से प्रसन्न हो कर प्रत्येक शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा होने का वरदान भी दिया था। यही कारण है कि बिना नंदी के दर्शन और उनकी पूजा किए भगवान शिव की पूजा अपूर्ण मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि जब नंदी जी को शिवलिंग के समक्ष स्थापित होने का वरदान मिला तो वह तुरंत भगवान शिव के सामने बैठ गए। तब से ही प्रत्येक शिव मंदिर के सम्मुख नंदी जी की प्रतिमा देखने को मिलती है।