नई दिल्ली- राज्यसभा में सांसदों द्वारा नियम 267 के तहत दिए गए कार्य स्थगन नोटिस पर सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों के नेताओं को इस मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है।
सभापति धनखड़ ने कहा कि मैं दोहराता हूं कि राजनीतिक दलों के नेताओं को इस मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह सदन की प्रत्येक बैठक में एक नियमित दैनिक मामला बनता जा रहा है। मैंने पहले ही संकेत दिया था कि पिछले 36 वर्षों में इस तंत्र को केवल छह अवसरों पर ही अनुमति दी गई है। केवल असाधारण परिस्थितियों में ही इसकी अनुमति दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि मुझे यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि सदन की निर्धारित कार्यवाही को स्थगित करने की मांग करना वास्तव में एक बहुत ही गंभीर मामला है। आज दायर किए गए नोटिस इस संबंध में सभापति द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप नहीं हैं और उन्हें स्वीकार नहीं किया गया है।
धनखड़ ने कहा कि तीन दशकों से अधिक समय में नियम 267 का उपयोग केवल छह अवसरों पर किया गया है और बैठक के प्रत्येक दिन मुझे ऐसे कई अनुरोध मिलते हैं। इसे एक रूटीन एक्सरसाइज़, एक आदत की तरह लिया जा रहा है। यह एक हास्यास्पद अभ्यास बनकर रह गया है। कल की मेरी गंभीर टिप्पणियों के बावजूद, जब कोई ध्यान नहीं दिया गया, तो मैंने इसे फिर से आपके पोर्टल पर अपलोड कर दिया है।