पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कई जगहों पर हमला किया, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई। कई बच्चे तो ऐसे थे, जिनके मां-बाप इस हमले में गुजर गए और उन्हें मुश्किलों के साथ जीवन गुजारना पड़ रहा है। इसमें से एक नाम है देविका का। जिसकी गवाही से जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब का दोष सिद्ध हुआ और बाद में उसे फांसी दी गई। गवाही से पहले देविका से सरकार और अधिकारियों ने कई बड़े वादे किए थे, लेकिन वो सब हवा-हवाई साबित हुए।
हमले के बाद हुई 6 सर्जरी
देविका रोटावन के मुताबिक जब मुंबई हमला हुआ था, तो वो सीएसटी स्टेशन पर थीं। तभी अचानक कसाब और उसके साथियों ने वहां पर फायरिंग शुरू कर दी। हमले में वो भी घायल हुईं, लेकिन उन्होंने काफी देर तक वो खौफनाक मंजर देखा। बाद में वो बेहोश हो गईं और उनकी आंखें अस्पताल में खुलीं। फिर पता चला कि उनकी 6 सर्जरी हुई है, जिस वजह से वो 6 महीने तक बिस्तर पर ही पड़ी रहीं। उस दौरान कई बड़े अधिकारी उनसे मिलने आए, क्योंकि वो कसाब के गुनाह को कोर्ट में बताने वाली चश्मदीद गवाह थीं।
भूल गए अधिकारी
अधिकारियों ने वादा किया था कि गवाही के बाद कमजोर आर्थित वर्ग के तहत उन्हें आवास मुहैया कराया जाएगा। साथ ही सरकार उनके पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी उठाएगी। उस दौरान उन्होंने अधिकारियों की सारी बातें मान लीं और कोर्ट में गवाही दी। कुछ दिनों बाद उन्हें एहसास हुआ कि सरकार और प्रशासन ने उन्हें भुला दिया है। बाद में वो बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचीं, लेकिन अभी तक मामले का ठोस हल नहीं निकल पाया है।