कोलकाता – नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित नीति आयोग की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का वाकआउट एक बड़ा विवाद बन गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस घटना को विपक्ष की आवाज को दबाने का स्पष्ट उदाहरण बताया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक के दौरान यह दावा करते हुए वाकआउट किया कि उनके भाषण के दौरान उन्हें अन्यायपूर्वक रोका गया, जबकि वह विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि थीं। इस घटना के बाद टीएमसी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
टीएमसी प्रवक्ता शांतनु सेन ने कहा, “जब देश की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री बंगाल को उसका हक न मिलने की बात कर रही थीं, तब उनका माइक म्यूट कर दिया गया। यह दर्शाता है कि विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।” शांतनु सेन ने आगे कहा कि यह घटना इस बात का प्रमाण है कि किस तरह से केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को चुप कराने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “यह केवल ममता बनर्जी के साथ नहीं हुआ है, बल्कि विपक्ष के अन्य नेताओं के साथ भी ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। हम इस तरह की तानाशाही को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
टीएमसी ने कहा कि वह बंगाल के हितों के लिए हमेशा संघर्ष करती रहेगी और केंद्र सरकार की इस प्रकार की हरकतों से डरने वाली नहीं है। पार्टी ने कहा, “हम बंगाल के लोगों के अधिकारों के लिए हमेशा खड़े रहेंगे और किसी भी साजिश का मुकाबला करेंगे,”