मुंबई, 4 नवम्बर, । आगामी विधानसभा चुनावों के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग ने सीटी चिन्ह को जनता दल (यूनाइटेड) के लिए आरक्षित कर दिया था, जिसके बाद बहुजन विकास आघाड़ी (बविआ) ने मुंबई उच्च न्यायालय का रुख किया और जनहित याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर 4 नवंबर को उच्च न्यायालय ने बहुजन विकास आघाड़ी के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेसन की पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि बहुजन विकास आघाड़ी ‘सीटी’ चिन्ह का उपयोग कर सकती है। इससे बहुजन विकास आघाड़ी के सभी उम्मीदवार विधानसभा चुनाव सीटी चिन्ह पर लड़ सकेंगे।
बहुजन विकास आघाड़ी ने याचिका में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 30 जनवरी 2024 को जारी पत्र और उसके परिणामों के बारे में आपत्ति जताई थी। मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद, उच्च न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया था। इसके बाद ही आज यह फैसला सुनाया गया है। पालघर जिले में बहुजन विकास आघाड़ी के 3 विधायक हैं, और पार्टी का चिन्ह ‘सीटी’ सभी के लिए जाना-पहचाना है। हालांकि, 2018 की लोकसभा उपचुनाव से बहुजन विकास आघाड़ी को सीटी चिन्ह न मिले, इसके लिए विपक्ष द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे।
2019 की विधानसभा चुनाव में बहुजन विकास आघाड़ी ने सीटी चिन्ह पर चुनाव लड़ा था, इसलिए इस चुनाव में भी उन्हें सीटी चिन्ह मिलने की उम्मीद थी, लेकिन भारत निर्वाचन आयोग ने सीटी चिन्ह जनता दल (यूनाइटेड) के लिए आरक्षित कर दिया था, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ था। इस फैसले के कारण विपक्ष के प्रयास विफल हो गए हैं, और अंततः मुंबई उच्च न्यायालय ने बहुजन विकास आघाड़ी को यह चिन्ह देकर राहत प्रदान की है, जिससे वसई में बहुजन विकास आघाड़ी के कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है।