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कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा : शिवराज सिंह चौहान

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मुंबई, 03 दिसंबर । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मुंबई में कहा कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है। मंत्री होने के नाते किसान की सेवा मेरे लिए भगवान की पूजा है। इस संस्थान के माध्यम से विभिन्न आयाम पूरे करने हैं।

शिवराज सिंह चौहान आज यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान में शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 100 साल पहले 1924 में जब ये प्रयोगशाला बनी थी, तब शायद यही उद्देश्य होगा कि कपास से अधिकतम लाभ कैसे कमायें। उस समय उनके अपने लक्ष्य व उद्देश्य होंगे लेकिन आज हमारा लक्ष्य है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का निर्माण करना। वैभवशाली, सम्पन्न, समृद्व भारत का निर्माण किसान के बिना नहीं हो सकता है। आज भी कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस संस्थान में अभी जो ज़रूरी है वह है कपास की खेती की स्थिरता बढ़ाने के लिए मशीनीकरण काे बढ़ाना। केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान एकमात्र संस्थान है जो कि यांत्रिक रूप से चुनी गई कपास के प्रसंस्करण के लिए काम कर रहा है। यांत्रिक रूप से काटी गई कपास के प्रसंस्करण के लिए संयंत्र और मशीनरी को अनूकूलित करने की ज़रूरत है। इसके लिए संस्थान के 100 साल पूरे होने पर यहां पायलट संयंत्र की सुविधा की व्यवस्था की जायेगी। कपास जिनोम का अंतरराष्ट्रीय केंद्र यह कैसे बने इसके लिए भी आवश्यक व्यवस्थायें की जायेंगी। कपास कॉटन में ट्रेसिबिलिटी सिस्टम विकसित करना बहुत ज़रूरी है। भारतीय कपास के निर्यात के लिए भी ट्रेसिबिलिटी की नई तकनीक विकसित करने के लिए सभी आवश्यक सुविधायें यहां विकसित की जायेंगी।

उन्हाेंने कहा कि कपास का बीज बहुत महंगा होता है। निजी कंपनियां किसानों को बीज बहुत महंगा देती हैं। आईसीएआर को कोशिश करनी चाहिए कि गुणवत्तापूर्ण बीज कम दामों पर कैसे किसानों को मिलें। किसान पर भी ध्यान दें ताकि उसे कपास की खेती से लाभ भी मिले, वह खेती से अपनी आजीविका ठीक से चला पाये।

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