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बतौर प्रधानमंत्री इन उपलब्धियों के लिए आज भी याद किए जाते हैं राजीव

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बतौर प्रधानमंत्री इन उपलब्धियों के लिए आज भी याद किए जाते हैं राजीव

1- वोट करने की आयु सीमा घटाई

पहले देश में वोट करने की आयु सीमा 21 वर्ष थी, जो युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर में गलत थी. उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार व सशक्त बनाने की पहल की. 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की आयु सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते हैं. यह अधिकार उन्हें राजीव गांधी ने ही दिलाया था.

2- कंप्यूटर क्रांति

राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता. राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया बल्कि भारत में इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया. उन्होंने कुछ ऐसा किया कि कंप्यूटर आम लोगों तक पहुंच गया. उस दौर में कंप्यूटर लाना इतना आसान नहीं था. तब कंप्यूटर महंगे होते थे, इसलिए सरकार ने कंप्यूटर को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह ऐसेंबल किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया जिसमें मदरबोर्ड और प्रोसेसर थे. उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की भी पहल की.

3- पंचायतीराज व्यवस्था की नींव

पंचायतीराज व्यवस्था की नींव रखने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है. दरअसल, राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता. उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया. 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ. राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया. 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई. इस व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण था.

4- नवोदय विद्यालयों की नींव

ग्रामीण और शहरी वर्गों में नवोदय विद्यालयों की नींव भी राजीव गांधी ने ही रखी. उनके कार्यकाल में ही जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली गई. ये आवासीय विद्यालय होते हैं. प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है. बच्चों को छह से 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है.

5- NPE की घोषणा

NPE की घोषणा भी राजीव गांधी ने ही की. राजीव गांधी की सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NPE) की घोषणा की गई. इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ.

6- दूरसंचार क्रांति

कम्प्यूटर क्रांति की तरह ही दूरसंचार क्रांति का श्रेय भी उन्हीं को जाता है. राजीव गांधी की पहल पर ही अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स(C-DOT) की स्थापना हुई. इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ. जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे. जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी. इसके बाद 1986 में राजीव की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई.

देश के प्रख्यात राजनीतिक विरासत वाले परिवार में जन्में राजीव गांधी की नियती में ही राजनीति लिखी थी। 1984 में मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने देश के छठें और सबसे युवा प्रधानमंत्री के तौर पर देश की कमान अपने हाथों में ली। राजीव गांधी के नाना और देश के पहले प्रधानमंत्री जवहार लाल नेहरू थे, इसी वजह से राजीव का अधिकांश बचपन राजनीतिक गलियारों में ही बिता था। राजीव ने नाना के काम करने के तौर तरीकों को और सियासी फैसलों को करीब से महसूस किया था। इन सबके बावजूद राजीव गांधी ने शुरूआत में ही राजनीति से दूरी बनाते हुए खुद के लिए नई राह चुनी और 1966 में इंडियन एयरलाइन्स के साथ पायलट के तौर पर जुड़ गए। साथ ही इटली निवासी सोनिया गांधी से ब्याह रचा लिया।
लेकिन अचानक मां इंदिरा गांधी और भाई संजय गांधी की हत्या के बाद दुख भरे माहौल में राजीव को देश का प्रधानमंत्री चुना गया। राजीव गांधी की राजनीतिक यात्रा शुरूआत से ही चर्चा में बनी रही, क्योंकि इनके प्रधानमंत्री का पद संभालते ही एक के बाद एक घोटालों की खबरें आने लगी। इतना ही नहीं मालदीव के तख्तापलट और श्रीलंका की मदद के​ लिए सैनिकों को भेजने के परिणामस्वरूप उग्रवादी समुह लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) राजीव गांधी के खिलाफ हो गया। आखिरकार लिट्टे ने अपना बदला लिया और आज के ही दिन यानी 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी।

राहनुर आमीन लश्कर

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