दामाद की गिरफ्तारी के बाद सियासी गलियारों में एकनाथ खडसे के भी गिरफ्तार किए जाने की अटकलें तेज हो गईं है। फिलहाल ईडी की अगली कार्रवाई पर सबकी नजरें लगी हुई हैं।
बीजेपी के पूर्व मंत्री और मौजूदा एनसीपी नेता एकनाथ खडसे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। समन मिलने के बाद खडसे ईडी दफ्तर पहुंच गए हैं। सूत्रों के मुताबिक भोसरी जमीन घोटाला मामले में उनके दामाद गिरीश चौधरी और खडसे को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा सकती है। गिरीश चौधरी को पहले ही ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल विशेष पीएमएलए अदालत ने गिरिश को 12 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेजा है।
राजनीतिक द्वेष की भावना से कार्रवाई
वहीं एकनाथ खडसे ने ईडी दफ्तर में जाने के पहले मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान कहा कि मैंने अभी तक जांच में पूरा सहयोग किया है। इस मामले की जांच पहले भी हो चुकी है। जिसमें मुझे क्लीनचिट भी मिली है। अब मुझे इस मामले में जबरन फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। यह सब कुछ राजनीतिक द्वेष के चलते हो रहा है। जबसे मैंने बीजेपी छोड़कर एनसीपी ज्वाइन की है, तब से मुझे फंसाने का प्रयास शुरू है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रद्द
इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि एकनाथ खडसे गुरुवार को होने वाली उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी से जुड़ा कोई बड़ा खुलासा कर सकते हैं। इस वजह से सभी की निगाहें उनकी पत्रकार परिषद पर टिकी हुई थी। लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस को स्थगित कर दिया है।
क्या है भोसरी जमीन घोटाला
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार में एकनाथ खडसे ने राजस्व मंत्री रहते हुए पुणे के भोसरी में 3.1 एकड़ वाले एमआईडीसी के प्लॉट को खरीदने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया था। उनके ऊपर यह आरोप साल 2016 में लगाया गया था। 31 करोड़ रुपए की कीमत वाले प्लॉट को केवल 3.7 करोड रुपए में ही बेचने का दावा किया गया था। रेडी रैकनर रेट से भी कम कीमत पर इस जमीन को खरीदने का आरोप है।
भोसरी की यह जमीन अब्बास उकानी नाम के व्यक्ति की थी। जिसको साल 1971 में एमआईडीसी ने अधिग्रहित किया था। हालांकि इस मामले में उकानी को नुकसान भरपाई देने का मुद्दा अभी अदालत में चल रहा है। ऐसा कहा जाता है कि में खडसे ने 12 अप्रैल 2016 को संबंधित अधिकारियों की एक बैठक बुलाई थी। जिसमें उन्होंने उकानी को जमीन वापस दी जाए या उन्हें ज्यादा नुकसान भरपाई दी जाए। इस बारे में जल्द से जल्द निर्णय लेने का आदेश दिया था। इसके तकरीबन एक पखवाड़े के भीतर उकानी ने खडसे के रिश्तेदारों ( पत्नी मंदाकिनी और दामाद गिरीश चौधरी) को यह जमीन बेच दी थी।