अश्लील फिल्मों के निर्माता होने के आरोप में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को मुंबई के सेशन कोर्ट ने 23 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है.कोर्ट के बाद राज कुंद्रा को मुंबई की भायखला जेल ले जाया गया. कस्टडी मिलने के बाद पुलिस यहां आरोपियोंं को रखती है और पूछताछ करती है.
राज कुंद्रा का फोन भी सीज कर लिया गया है. फोन के अलावा राज कुंद्रा के और भी इलेक्ट्रॉनिक एविडेन्स सीज किए गए हैं. राज कुंद्रा के बाद गिरफ्तार हुए उनकी कंपनी में आईटी हेड रयान थोर्पे को भी राज कुंद्रा के साथ ही पुलिस कस्टडी में भेजा गया है. राज कुंद्रा पर IPC 420 और 67A सेक्शन लगे हैं जो कि नॉन बेलेबल है.अब राज कुंद्रा की लीगल टीम की यही कोशिश होगी कि वह राज कुंद्रा की गिरफ्तारी को अनुचित करार देते हुए जमानत की मांग करें.
फिलहाल, यह देखना होगा कि इस मामले में कोर्ट क्या फैसला लेता है.
राज कुंद्रा पर आरोप क्या? आरोप सिद्ध हुए तो सजा क्या?
राज कुंद्रा पर अश्लील फिल्में बनाने और उन्हें अलग-अलग ऐप के माध्यमों से डाउनलोग कर बेचने का आरोप है. ऐसे आरोपों पर आरोपी के खिलाफ आईटी ऐक्ट और आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत गुनाह दर्ज होता है. अगर राज कुंद्रा दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें 5 से 7 सालों तक और अधिकतम 10 सालों तक के लिए जेल जाना पड़ सकता है.
फिलहाल तो कोर्ट में यह सिद्ध करना होगा कि राज कुंद्रा जो अश्लील फिल्में बना रहे थे वो सॉफ्ट और नॉर्मल एडल्ट और एरॉटिक फिल्मों की कैटेगरी में हैं या पॉर्न फिल्मों को कैटेगरी में आती हैं. राज कुंद्रा की फिल्म ‘गंदी बात’ में हिरोइन रह चुकीं और इसी मामले में 11 आरोपियों में से एक गहना वशिष्ठ ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि ये फिल्में एरॉटिक या अश्लील फिल्मों की कैटेगरी में आ सकती हैं, लेकिन ये पॉर्न फिल्में हरगिज नहीं हैं.
पोर्नोग्राफी और पोर्नोग्राफिक कंटेट को लेकर भारत का कानून सख्त
पोर्नोग्राफी और पोर्नोग्राफिक कंटेट को लेकर भारत में कानून बेहद सख्त है. ऐसे अपराधों में आईटी एक्ट सहित भारतीय दंड संहिता (IPC) की अनेक धाराओं के तहत गुनाह दर्ज किया जाता है. इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से ऐसे अपराधों में सजा कठोर किए जाने के मकसद से आईटी एक्ट में कुछ सुधार भी किए गए हैं.
न्यूड और सेक्स संबंधी फोटो, वीडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और इस तरह के अन्य कंटेंट इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से पब्लिश करने या किसी को भेजने पर एंटी पोर्नोग्राफी लॉ लागू होता है. किसी भी अन्य व्यक्ति के नग्न या अश्लील वीडियो तैयार करने या एमएमएस बनाने और अन्य व्यक्तियों तक पहुंचाने वाले लोग इस कानून के तहत आते हैं.
7 से 10 साल की जेल और 10 लाख तक का जुर्माना संभव
इस प्रकरण में फिलहाल प्राइमाफेसी राज कुंद्रा पर IPC 420 और 67(ए) सेक्शन लगे हैं. आने वाले दिनों में उन पर आईटी संशोधित कानून 2008 की धारा 67 (ए) के अलावा आईपीसी की धारा 292, 293,294,500 और 509 के तहत सजा दी जा सकती है. गुनाह की गंभीरता को देखते हुए पहली बार इस तरह के गुनाह सिद्ध होेने पर पांच साल की जेल और दस लाख रुपए तक का दंड भरने की सजा दी जा सकती है. दूसरी बार इसी तरह के गुनाह सिद्ध होने पर सात साल तक सजा बढ़ाई जा सकती है.
सजा के संबंध में Tv9 भारतवर्ष डिजिटल से बात करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील डॉ. गुणरत्न सदावर्ते कहते हैं कि फिलहाल जो प्राइमाफेसी 420 का मामला दर्ज किया गया है वो तो शुरुआत है. यह तो तब लगता है जब आप किसी आर्टिस्ट को बुलाते किसी और काम के लिए हैं और उनसे कोई और काम करवा लेते हैं. लेकिन यहां मामला आर्टिस्ट को नग्न करने का है. किसी महिला की मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाने और अननैचुरल सेक्स करने और बलात्कार तक मामला जा सकता है. क्योंकि इस तरह का शूट किया गया है तो ऐक्ट भी किया गया है. ऐसे मामले में आरोप सिद्ध होने परआईपीसी की धारा 354, 376 और 377 के तहत सात से दस साल तक की सजा हो सकती है.
ऐसे मामले में आरोप सिद्ध होना बहुत मुश्किल होता है
बता दें कि जब वेबसीरीज के नाम पर अश्लील फिल्में बनाने के रैकेट का पर्दाफाश हुआ तो कई मॉडल और एक्ट्रेसेस ने अपने बयान दिए थे. उन बयानों में एक झारखंड की स्ट्रगलर आर्टिस्ट का बयान भी आया था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें यह कह कर बुलाया ही नहीं गया था कि उनसे अश्लील दृश्य शूट करवाए जाएंगे. जब उस आर्टिस्ट ने ऐसे दृश्य शूट करने से मना किया तो उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पेपर दिखाए गए जिसके तहत बताया गया कि अगर वे कॉन्ट्रैक्ट तोड़ कर जाएंगी तो उन्हें 10 लाख रुपए का हर्जाना देना होगा. दरअसल कॉन्ट्रैक्ट लेटर अंग्रेजी में था और उन्हें हिंदी में कुछ और समझाया गया था.
इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील डॉ. गुणरत्न सदावर्ते सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस राधाकृष्णन के एक जजमेंट का हवाला देते हुए कहते हैं कि ऐसे संगीन अपराध करने वाले कभी सबूत नहीं छोड़ते. दृश्य बनाते वक्त ऐसे ऑफेंस या ऐक्ट होने को सिद्ध करना मुश्किल होता है. यह तभी हो सकता है जब वे आर्टिस्ट गवाही देने को तैयार हों.
मामला राज कुंद्रा तक सीमित नहीं, कई बड़े लोग हो सकते हैं शामिल
तहकीकात आगे बढ़ी तो यह मामला सिर्फ राजकुंद्रा तक सीमित नहीं रहेगा. मालाड के जिस मढ इलाके में इस तरह की शूटिंग हुआ करती है, वहां बड़े-बड़े फिल्मी सितारों, निर्देशकों, निर्माताओं के बंगले हैं. जिन बंगलों में ऐसे सीन शूट किए जा रहे हैं, अगर उन सब की भी पड़ताल की जाए तो और भी नाम सामने आएंगे लेकिन मामला अगर सिर्फ राज कुंद्रा तक सीमित रहा तो उसे टारगेटेड तहकीकात यानी खास तौर पर राज कुंद्रा को टारगेट करने के लिए की गई तहकीकात समझा जाएगा. ऐसा वरिष्ठ वकील डॉ. गुणरत्न सदावर्ते ने दावा किया है.