वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय आयोग द्वारा उन्हें तलब किए जाने के आदेश को चुनौती दी है। प्रदेश सरकार ने राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए यह आयोग गठित किया है। आयोग ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त को बयान दर्ज करवाने के लिये अपने समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है।
सिंह ने अपनी याचिका में आयोग की जांच की वैधानिकता को भी चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि आयोग को सौंपा गयी जांच का दायरा उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत पहले ही तय कर चुकी है।
याचिका में सिंह ने उच्च न्यायालय से यह घोषणा करने का अनुरोध किया है कि जांच आयोग को सौंपी गयी जांच का दायरा न्यायसंगत है और इसलिए आयोग द्वारा जांच के लिये कुछ शेष नहीं बचा है।
उन्होंने याचिका में आयोग के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने और छह अगस्त को पेश होने केलिये उन्हें जारी समन के अमल पर रोक लगाकर उन्हें अंतरिम राहत प्रदान करने की मांग की है।
महाराष्ट्र सरकार ने इस साल 30 मार्च को पूर्व न्यायमूर्ति के यू चांदीवाला की अध्यक्षता में एक सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच आयोग गठित किया था जिसे राज्य के पूर्व गृह मंत्री और राकांपा नेता अनिल देशमुख के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों की जांच करनी है।
सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि आयोग की इस बात की जांच कर अपना नतीजा सौंपना है कि क्या देशमुख ने कोई अपराध किया है जैसा कि सिंह ने 20 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया है।
उन्होंने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में देशमुख की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की गई थी। याचिका के मुताबिक अदालत ने तब कहा था कि राकांपा नेता के खिलाफ प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध का मामला बनता है।
हालांकि, राकांपा के नेता ने कुछ भी गलत करने से इंकार किया है।
देशमुख ने सिंह द्वारा उनके खिलाफ लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच सीबीआई को सौंपने के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस साल अप्रैल में राज्य के गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।