महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना में जुबानी जंग जारी है. दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर शब्द बाण चलाने से नहीं चूकते. लिहाजा रोज वहां आरोप-प्रत्यारोप चलता रहा है. ताजा मामला बाला साहब ठाकरे स्मारक के शुद्धीकरण को लेकर चलने वाले तकरार का है.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना उसके नेताओं पर सवालिया निशान लगाया है.फडणवीस ने शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा है कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के गुरुवार को बाल ठाकरे स्मारक के दौरे के बाद उसका शुद्घिकरण करने वाले मूल शिवसेना को नहीं जानते हैं। यह हरकत शिवसेना की संकीर्ण मानसिकता को उजागर करती है.
राणे जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित ठाकरे स्मारक पर गए थे. इसके बाद शिवसैनिकों ने उसका शुद्धिकरण किया था. अब मुंबई में गुरुवार को कोविड नियम तोड़कर जन आशीर्वाद यात्रा निकालने के आरोप में 19 लोगों पर केस दर्ज किया गया है. जिन लोगों पर मुकदमा हुआ है, उनमें ज्यादातर यात्रा के आयोजक हैं. आरोप है कि यात्रा के दौरान इसमें शामिल लोग सोशल डिस्टेंसिंग का नियम तोड़ते हुए नजर आये. अधिकतर ने मास्क भी नहीं पहना था.
इस यात्रा के दौरान केंद्रीय सूक्ष्म, लघु मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे ने शिवाजी पार्क जाकर बाला साहब ठाकरे के समाधिस्थल पर फूल चढ़ाया था. राणे के वहां से जाने के बाद स्थानीय शिवसेना कार्यकर्ता अप्पा पाटिल ने कुछ साथियों के साथ मिकलर गोमूत्र दूध से बाला साहेब ठाकरे स्मारक को ‘पवित्र’ करने का काम किया. इससे पहले शिवसेना सांसद संजय राउत विनायक राउत ने राणे के बाला साहब समाधिस्थल पर जाने का विरोध किया था.
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता फडणवीस ने शुक्रवार को नागपुर में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि यह अजीब है कि शिवसेना उन लोगों के साथ सत्ता में साझेदार, जिन्होंने बाला साहब ठाकरे को कैद करने की कोशिश की थी. यह पार्टी उन लोगों पर हमले कर रही है, जो बाला साहब के प्रति आदर रखते हैं.
एक समय महाराष्ट्र ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर शिवसेना-भाजपा का गठबंधन था. तब दोनों अपने को हिंदुत्व का पहरेदार बताते हुए एक सुर में बोलते थे. लेकिन महाराष्ट्र में कौन किस पार्टी का मुख्यमंत्री होगा, इस सवाल पर दोनों का गठबंधन टूट गया था.