पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख मामले में सीबीआई को दस्तावेज न देने पर उच्चन्यायालय ने राज्य सरकार को फटकार

0

महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के कार्यकाल में ट्रांस्फर-पोस्टिंग में हुए भ्रष्टाचार संबंधी दस्तावेज सीबीआई को उपलब्ध न कराने पर उच्चन्यायालय ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है।

कोर्ट ने सवाल किया है कि बिना दस्तावेज के सीबीआई अपनी जांच कैसे पूरी कर सकती है ? पूर्व गृहमंत्री के कार्यकाल में ट्रांस्फर-पोस्टिंग में हुए भ्रष्टाचार की जांच से राज्य सरकार शुरू से कतराती रही है।

सीबीआई द्वारा बार-बार इससे संबंधित दस्तावेज मांगने पर राज्य सरकार पहले कहती रही कि उच्चन्यायालय ने सीबीआई को ट्रांस्फर-पोस्टिंग मामले की जांच करने के लिए कहा ही नहीं है। पिछले माह 22 जुलाई को उच्चन्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि सीबीआई अनिल देशमुख पर लगे 100 करोड़ रुपयों की वसूली के आरोप के साथ उनके कार्यकाल में ट्रांस्फर पोस्टिंग में हुए भ्रष्टाचार की भी जांच करेगी। अब सरकार सीबीआई को इस मामले से संबंधित दस्तावेज देने से यह कहकर कतरा रही है कि उन दस्तावेजों का सीबीआई की जांच से कोई मतलब ही नहीं है। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई कर रही खंडपीठ के एक न्यायाधीश एस.एस.शिंदे ने कहा कि पहले तो राज्य सरकार ने कहा था कि वह हर तरह की जांच के लिए तैयार है। अब वह अपने शब्दों से पीछे क्यों हट रही है ? वह ऐसा क्यों कर रही है ?

इस पर राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रफीक दादा ने कहा कि उच्चन्यायालय ने ऐसा नहीं कहा था कि राज्य सरकार दस्तावेज देने के लिए बाध्य है। उच्चन्यायालय ने सिर्फ अनिल देशमुख एवं उनके सहयोगियों के बीच की सांठगांठ की जांच के आदेश दिए थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तक सीबीआई दस्तावेज देखेगी नहीं, वह कैसे जान पाएगी कि कोई सांठगांठ थी या नहीं ? न्यायमूर्ति शिंदे ने स्पष्ट निर्देश दिए कि हम समझते हैं कि आप (सरकार) इन दस्तावेजों को देने से कतई इंकार नहीं कर सकते। जब तक अनिल देशमुख गृहमंत्री थे, तब तक के सीबीआई द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेज सीबीआई को दिए जाने चाहिए।

यही राज्य सरकार एवं सीबीआई, दोनों के लिए सुखद स्थिति होगी। बता दें कि अनिल देशमुख के कार्यकाल में ही राज्य गुप्तचर सेवा की प्रमुख रही आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सीताराम कुंटे के निर्देश पर कुछ लोगों के फोन टैप करने के आदेश दिए थे। राज्य सरकार इसी फोन टैपिंग से संबंधित दस्तावेज सीबीआ को देने से कतरा रही है। यही नहीं मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने रश्मि शुक्ला के विरुद्ध एक एफआईआर भी करवा दी है।

आज रश्मि शुक्ला के विरुद्ध दर्ज एफआईआर रद्द करवाने के लिए .दायर याचिका पर भी सुनवाई थी। इसमें रश्मि शुक्ला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि राज्य सरकार रश्मि शुक्ला को बलि का बकरा बना रही है। रश्मि शुक्ला ने फोन टैपिंग की जो भी कार्रवाई की, वह अपने वरिष्ठ अधिकारी सीताराम कुंटे के निर्देशानुसार की। अब कुंटे अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए रश्मि शुक्ला को बलि का बकरा बना रहे हैं।

जेठमलानी ने कोर्ट को बताया कि रश्मि शुक्ला ने फोन टैपिंग से पहले कुंटे से ही निर्देश प्राप्त किए थे। वह सिर्फ अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रही थीं। जेठमलानी ने फिलहाल राज्य के मुख्य सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे सीताराम कुंटे को चुनौती देते हुए कहा कि रश्मि शुक्ला लाई डिटेक्टर टेस्ट (झूठ पकड़नेवाला परीक्षण) के लिए तैयार हैं। क्या सीताराम कुंटे भी इसके लिए तैयार हैं ?

About Author

Comments are closed.

Maintain by Designwell Infotech