बॉलीवुड एक्टर विक्की कौशल आज फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम हैं। कटरीना कैफ के संग आजकल वो अफेयर और सगाई की अफवाहों को लेकर काफी चर्चाओं में भी हैं। विक्की कौशल के फिल्मी करियर की बात करें तो ‘मसान’ ने उनकी किस्मत बदल दी थी।
ये वही फिल्म है जिसने विक्की को बॉलीवुड में एक उभरते हुए अच्छे एक्टर की पहचान दिलाई। इससे पहले वह 3-4 फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार ही निभाया करते थे। विक्की की बतौर मुख्य अभिनेता यह पहली फिल्म थी। फिल्म मसान विक्की के लिए आसान नहीं थी क्योंकि इसमें जो अदाकारी विक्की ने की, वो कम ही एक्टर कर पाते हैं। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान विक्की का कई दिनों तक मुर्दों से सामना होता था। हर लाश को वह अपनी आंखों के सामने जलते हुए देखते थे। इतना ही नहीं विक्की कौशल के किरदार से जुड़े अधिकतर सीन की शूटिंग शमशान घाटों पर ही हुई थी। जानिए मसान फिल्म के उन किरदारों के बारे में, जिन्होंने फिल्म को जीवंत बनाने के लिए घंटों शमशान घाट में समय बिताया था।
रोज देखते थे जलती हुई लाशें
मसान युवा निर्देशक नीरज घेवान की पहली फिल्म थी। मसान की शूटिंग शुरू होने से पहले विक्की कौशल रोज मणिकर्णिका घाट पर घंटों बैठा करते थे। इस दौरान काला, गोरा, सुंदर, बदसूरत, अमीर, गरीब, मोटा, पतला न जाने कितनी ही लाशों को उन्होंने राख में तब्दील होते देखा था। विक्की को अक्सर घाट पर बैठे अहसास होता था कि लोग चले जाते हैं और सिर्फ उनका काम पीछे रह जाता है।
विक्की के पिता का रोल
मसान फिल्म में विक्की के पिता बने अभिनेता विनीत का किरदार भी काफी मुश्किल था। वह फिल्म में डोमराजा का किरदार निभा रहे थे। डोम वो होते हैं, जो मुर्दों को जलाते हैं। इस फिल्म के लिए विनीत ने एक हफ्ते तक मणिकर्णिका घाट पर लाशें जलाईं थीं। वह रोज 10 घंटे घाट पर काम किया करते थे ताकि फिल्म में वह अच्छे से काम कर सकें।
सच हैं शमशान के दृश्य
फिल्म मसान को बनारस के अलग अलग शमशान घाटों पर फिल्माया गया है। इस दौरान फिल्म के कलाकार जलती लाशों के बीच एक्टिंग किया करते थे। यहां तक की चिता जलाने से लेकर मुर्दा पलटने तक के दृश्य असल में फिल्माए गए थे। किसी भी अभिनेता के लिए इस तरह का काम काफी मुश्किल है लेकिन अभिनेताओं ने फिल्म में जान डालने के लिए पूरी लगन के साथ अपना अपना किरदार निभाया।
फिल्म को अवॉर्ड
इस फिल्म में विक्की कौशल के साथ साथ पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, रिचा चड्ढा, श्वेता त्रिपाठी मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म को साल 2015 में कॉन्स फिल्म फेस्टिवल में दो अवॉर्ड भी मिले थे। इसके साथ ही क्रिटिक्स ने भी फिल्म की कहानी और अदाकारी को खूब सराहा था। निर्देशक नीरज घेवान को भी अपनी पहली ही फिल्म से काफी पहचान मिली।