केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राप्त उपहारों और स्मृति-चिह्नों की ई-नीलामी की गुरुवार को घोषणा की. यह जानकारी एक आधिकारिक बयान में दी गई. स्मृति-चिन्हों में पदक जीतने वाले ओलंपियन और पैरालिंपियन के स्पोर्ट्स गियर और उपकरण, अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिकृति, चारधाम, रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, मॉडल, मूर्तियां, पेंटिंग, अंगवस्त्र आदि शामिल हैं.
कोई भी व्यक्ति या संगठन 17 सितंबर से 7 अक्टूबर के बीच वेबसाइट ‘पीएममेमेंटोस डॉट जीओवी डॉट इन’ के माध्यम से ई-नीलामी में भाग ले सकता है. बयान में कहा गया कि ई-नीलामी से प्राप्त धनराशि गंगा के संरक्षण और कायाकल्प के उद्देश्य से नमामि गंगे मिशन को दी जाएगी. वहीं, इन उपहारों को राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, जयपुर हाउस दिल्ली में 14 सितंबर से 3 अक्टूबर 2019 तक सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक देख सकते हैं.
गिफ्ट की शुरुआती कीमत 200 रुपये
अभी दो दिन पहले ही केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने प्रधानमंत्री को मिले उपहारों की प्रदर्शनी एवं ई-नीलामी का शनिवार को उद्घाटन किया था. बता दें कि शॉल, पगड़ियां और जैकेटों समेत 2,700 से अधिक स्मृति चिह्नों की नीलामी की जा रही है. प्रह्लाद सिंह पटेल ने बताया कि स्मृति चिह्नों के लिए सबसे कम कीमत 200 रुपये और अधिकतम 2.5 लाख रुपये तय की गई है.
PM मोदी के जन्मदिन पर गुजरात में दिव्यांगों के लिए शुरू होगी ‘मोबाइल वैन’ सेवा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 71वें जन्मदिन के मौके पर ‘जयपुर फुट यूएसए’ ने गुजरात के दिव्यांगों के लिए मुफ्त कृत्रिम अंग (प्रोसथेटिक फीटमेंट) प्रदान करने के लिए एक ऑनलाइन कार्यक्रम में ‘एक मोबाइल वैन’ सेवा की शुरुआत को मंजूरी दी. प्रख्यात भारतीय योग गुरु एवं स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान (एसवीवायएएसए) के कुलपति डॉ. एचआर नागेंद्र और भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के मुख्य संरक्षक एवं बीएमवीएसएस के संस्थापक पदम भूषण डीआर मेहता वीर ने ऑनलाइन एक कार्यक्रम में ‘मोबाइल वैन’ सेवा की शुरुआत को हरी झंडी दिखाई.
मेहता ने कहा, ‘हम 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 71वें जन्मदिन के खास मौके पर यह पहल शुरू कर रहे हैं.’ ‘बीएमवीएसएस’ (जयपुर) के आठ योग्य ‘प्रोस्थेटिक्स’ पेशेवरों के साथ मोबाइल वैन, अपने पहले गंतव्य के रूप में मोदी के पैतृक निवास वडनगर के लिए रवाना होगी. उन्होंने वैश्विक महामारी के बीच दिव्यांगों की मदद करने में ‘मोबाइल वैन’ के महत्व पर प्रकाश डाला. यह वैन अन्य जिलों और शहरों में भी जाएगी.
नागेंद्र ने ‘फिटमेंट कैंप’ (कृत्रिम पैर के मुहैया कराने के शिविरों) के जरूरतमंदों के घर तक पहुंचाने के दृष्टिकोण भी सराहना की. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में भी एक कृत्रिम अंग शिविर का आयोजन किया जा सकता है और कर्नाटक में दिव्यांगों को साल भर सहायता प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में एक स्थायी केन्द्र भी स्थापित किया जा सकता है.