Tansa City One

स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन रोकने पर बॉम्बे HC ने जताई नाराजगी, राज्य सरकार से मांगा जवाब

0

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक स्वतंत्रता सेनानी की विधवा की पेंशन रोके जाने को अनुचित बताया और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। स्वतंत्रता सेनानी की 90 वर्षीय पत्नी ने याचिका में सरकार की पेंशन योजना का लाभ देने का अनुरोध किया है। महिला के पति की 56 साल पहले मौत हो गई थी।

न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति माधव जमादार की पीठ ने 24 सितंबर को आदेश जारी किया और इसकी एक प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई। अदालत रायगढ़ जिले की निवासी शालिनी चव्हाण की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने ‘स्वतंत्र सैनिक सम्मान पेंशन योजना, 1980’ का लाभ देने का अनुरोध किया क्योंकि उनके दिवंगत पति एक स्वतंत्रता सेनानी थे।

याचिका के अनुसार महिला के पति लक्ष्मण चव्हाण स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। चव्हाण को सजा सुनाई गई जिसके बाद उन्हें 17 अप्रैल, 1944 से 11 अक्टूबर, 1944 तक मुंबई की भायखला जेल में रखा गया। चव्हाण की 12 मार्च 1965 को मृत्यु हो गई।

याचिकाकर्ता के वकील जितेंद्र पाठाडे ने अदालत को बताया कि शालिनी चव्हाण को पेंशन योजना का लाभ इस आधार पर नहीं दिया गया कि उनके पति की गिरफ्तारी और कारावास का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

पाठाडे ने दलील कि याचिकाकर्ता ने 1966 में अपने दिवंगत पति के कारावास का प्रमाण पत्र राज्य सरकार को प्रस्तुत किया था, लेकिन इसका सत्यापन नहीं हो सका क्योंकि भायखला जेल के पुराने रिकॉर्ड जिसमें उनके पति के कारावास का विवरण था, नष्ट हो गया था।

अदालत ने मामले की संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा कि रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री से लक्ष्मण चव्हाण के स्वतंत्रता सेनानी होने की स्थिति और याचिकाकर्ता के उनकी विधवा होने के संबंध में कोई विवाद नहीं लगता है। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘अगर ऐसा है भी तो एक स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन को इतनी लंबी अवधि के लिए रोकना उचित नहीं है।’

About Author

Comments are closed.

Maintain by Designwell Infotech