अफगानिस्तान में तन, मन, धन से तालिबान की मदद में जुटे पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि वह ऐसा करता रहेगा और इसके लिए दुनिया से भी पंगा मंजूर है। पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान दुनिया के दबाव में आए बिना अफगानिस्तान की मदद करता रहेगा। लाहौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रशीद ने कहा, ” वे हमारे भाई भाई हैं और वे हमारे पड़ोसी हैं।”
अगस्त में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से पाकिस्तान अफगानिस्तान के नए निजाम को मान्यता देने की वकालत करता रहा है। पहले पाकिस्तान ने तालिबान को ना सिर्फ हथियार दिए बल्कि जहां जरूरत पड़ी अपने सैनिक भेजकर भी अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने में मदद की। अब वह मानवीय सहायता की दलील देकर तालिबान के हाथ मजबूत करने में जुटा है।
मानवाधिकार हनन के एक के बाद एक मामले सामने आने और महिलाओं पर बर्बरता के बावजूद पाकिस्तान तालिबान की मदद में जुटा है। दुनिया एक ओर तालिबान पर मानवाधिकारों के सम्मान के लिए दबाव बनाने में जुटी है तो इमरान खान कट्टरपंथी इस्लामिक समूह की तारीफ करते नहीं थकते। ऐसे में अब पाकिस्तान पर भी प्रतिबंधों की मांग उठने लगी है।
केंद्रीय गृहमंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब डेप्युटी सेक्रेटरी वेंडी शर्मन की अगुआई में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा है। पाकिस्तान के अखबार डॉन ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अमेरिका नहीं चाहता कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के फैसले से पहले तालिबान को मान्यता दे। अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान तालिबान पर समावेशी सरकार, मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकार जैसे मुद्दे पर दबाव डाले।