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घर-घर जाकर बच्चों का हेल्थ डेटा बैंक तैयार कर रही है बीएमसी

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बीएमसी 18 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य का डेटा बैंक तैयार कर रही है। इसके लिए बीएमसी घर-घर जाएगी। इसमें बीएमसी इलाकों में काम करने वाली स्वास्थ्य सेविकाओं सहित आशा वर्कर्स की मदद ली जाएगी। मुंबई में इस उम्र के बच्चों की संख्या 40 लाख से अधिक बताई जाती है।

बता दें कि कोरोना की पहली लहर में महामारी को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने ‘मेरा परिवार, मेरी जिम्मेदारी’ अभियान शुरू किया था। इस मुहिम के तहत स्वास्थ्य सेविकाओं, आशा वर्कर्स ने हर वॉर्ड में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया था। इसमें नागरिकों के रोग, बुजुर्गों की बीमारियां और को-मॉर्बिड मरीजों की संख्या समेत कई तरह की जानकारियां जुटाई गई थीं।

तीसरी लहर से निपटने में कारगर’

बीएमसी की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमारे बताया, ‘बच्चों का यह स्वास्थ्य डेटा सभी इलाकों की डिस्पेंसरियों और स्वास्थ्य केंद्रों को भी उपलब्ध कराया जाएगा। तीसरी लहर में बच्चों को अधिक खतरे की चिंता के बीच यह डेटा बैंक बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए कारगर साबित हो सकता है।’

सीरो सर्वे: 51% बच्चों में एंटीबॉडीज

बीएमसी की तरफ से बच्चों पर हाल में सीरो सर्वे कराया गया था। इस सर्वे में जो सैंपल लिए गए थे, उनमें 10 से 14 साल की उम्र के करीब 53.43 फीसद बच्चों में एंटीबॉडी पाई गईं चार साल तक के 51.04 फीसद बच्चों, 5 से 9 साल तक के 47.33 फीसद बच्चों और 15 से 18 साल के 51.39 फीसद बच्चों में एंटीबॉडी मिली थी। औसतन 51.18 फीसद बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई हैं।

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