पालने वाले को ही खाता है बाघ… आतंक के इस्तेमाल पर चीन की नसीहत, दोस्त की बात मानेगा पाकिस्तान?

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स्टेट पॉलिसी के तौर पर आतंकवाद का इस्तेमाल करने वाले पाकिस्तान को दुनिया ने समझाया, लेकिन यह बात अब तक समझ नहीं आई है कि यह उसके लिए भी विनाशकारी ही साबित होगा। अब चीन ने भी कहा है कि आतंकियों को पालना बाघ पालने जैसा है जो मालिक को ही अपना शिकार बना सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान अपने सदाबहार दोस्त की बात मानेगा। हालांकि, वैश्विक आतंकी मसूद अजहर के लिए ढाल बनने जैसे कदमों से चीन कई बार पाकिस्तान की आतंक नीति को बढ़ावा दे चुका है। 

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को ग्लोबल काउंटर टेरेरिज्म फोरम में कहा, ”अच्छे और बुरे आतंकवाद में कोई फर्क नहीं है। काउंटर टेरेरिज्म का राजनीतिकरण या राजनीतिक आवश्यकताओं के लिए इसका हथियार के रूप में इस्तेमाल बाघ पालने जैसा है, जो केवल बर्बादी ही लाएगा।” चीन ने यह बात भले ही पाकिस्तान के संदर्भ में ना कही हो, लेकिन ड्रैगन के सदाबहार दोस्त को दुनिया लंबे समय से यही बात समझाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में दुनिया की उम्मीद यही होगी कि पाकिस्तान को कम से कम अपने दोस्त की बात पर तो यकीन करे।

वांग ने ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की अपील की। यूएन सिक्यॉरिटी काउंसिल की ओर से वैश्विक आतंकवादी संगठन करार दिया जा चुका ईटीआईएम लंबे समय से चीन के लिए सिरदर्द बना रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से चीन को यह आशंका सता रही है कि ईटीआईएम यहां अपनी ताकत बढ़ा सकता है। यही वजह है कि चीन ने तालिबान से दोस्ती कर ली है और आर्थिक मदद के बदले वह ईटीआईएम का अफगानिस्तान से सफाया चाहता है।

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