उच्चतम न्यायालय ने धोखाधड़ी के एक मामले में पटना उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि फरार या भगोड़ा घोषित अपराधी अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 82 और 83 के तहत कार्यवाही की अनदेखी करते हुए आरोपी को अग्रिम जमानत देने में गलती की है।
सीआरपीसी की धारा 82 के तहत कोई अदालत वारंट निष्पादित न होने की स्थिति में ऐसे आरोपी के बारे में उद्घोषणा प्रकाशित कर सकती है जिसके अदालत में पेश होने की जरूरत हो। सीआरपीसी की धारा 83 के अनुसार, ऐसी घोषणा जारी करने के बाद, अदालत भगोड़ा अपराधी की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश भी दे सकती है
पीठ ने कहा, ‘इस अदालत द्वारा कहा जाता है कि अगर किसी को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत भगोड़ा अपराधी घोषित किया जाता है, तो वह अग्रिम जमानत संबंधी राहत पाने का हकदार नहीं है।’
शीर्ष अदालत पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निचली अदालत द्वारा सीआरपीसी की धारा 82 और 83 के तहत कार्यवाही शुरू किए जाने की अनदेखी करते हुए धोखाधड़ी के एक आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी गई थी।