जम्मू कश्मीर में रहना होगा सावधान, दिख सकता है तालिबान इफेक्ट, CDS बिपिन रावत ने चेताया

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अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होने के बाद से बदले हालातों में जम्मू-कश्मीर पर भी असर देखने को मिल सकता है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को एक कार्यक्रम में अफगानिस्तान के हालात को लेकर सतर्क रहने को कहा। रावत ने यहां प्रथम रविकांत सिंह स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा कि आज अफगानिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है कल उसका असर जम्मू-कश्मीर पर भी पड़ सकता है। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। हमें अपनी सीमाएं सील करनी होंगी, अब निगरानी करना बेहद अहम हो गया है। हमें अपनी आंखें खुली रखनी होंगी कि कौन बाहर से आ रहा है। सख्त चेकिंग करनी होगी।

चीन हिंद महासागर क्षेत्र में भी सेंध लगा रहा

जनरल रावत ने कहा कि चीन की ताकत हासिल करने की विश्व स्तरीय महत्वाकांक्षाओं के कारण दक्षिण एशिया की स्थिरता पर सर्वव्यापी खतरा है। चीन दक्षिण एशिया तथा हिंद महासागर क्षेत्र में अंदर तक सेंध लगा रहा है ताकि उभरती वैश्विक महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर सके। जनरल बिपिन रावत ने कहा कि म्यांमार तथा पाकिस्तान के साथ चीन के संबंध और बांग्लादेश पर उसकी प्रतिकूल कार्रवाई भी भारत के हित में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चीन से सर्वाधिक सैन्य उपकरण प्राप्त करने वाले म्यांमार और पाकिस्तान वैश्विक मंच पर उससे समर्थन प्राप्त करते हैं।

पाकिस्तान के साथ चीन की सांठगांड का कश्मीर पर भी असर

सीडीएस ने भारत-पाक संबंधों पर कहा, पाकिस्तान का सरकार प्रायोजित आतंकवाद दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया में बाधक है। पाक के साथ चीन की साझेदारी और जम्मू-कश्मीर पर उसके रुख को भारत विरोधी सांठगांठ के रूप में सबसे अच्छी तरह परिभाषित किया जा सकता है। बता दें कि होम मिनिस्टर अमित शाह खुद जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। शनिवार को उन्होंने आतंकी हमले में शहीद पुलिसकर्मी परवेज डार के परिजनों से मुलाकात की और कहा कि पूरा देश आपके साथ है। इसके अलावा उन्होंने कश्मीर घाटी में सुरक्षा के हालातों की भी समीक्षा की है।

अफगानिस्तान में बदले हालातों का दिखने लगा असर?

दरअसल बीते करीब एक महीने में जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में इजाफा हो गया है। यहां तक कि नागरिक अब दहशत कायम करने के लिए आम नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं। अकेले अक्टूबर में ही आतंकी 11 नागरिकों की हत्याएं कर चुके हैं, जिनमें 5 प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं। आतंकवादी घटनाओं में अचानक हुए इस इजाफे को अफगानिस्तान में बदली स्थितियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

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