राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने गुरुवार को कहा कि युद्ध के नए क्षेत्र क्षेत्रीय सीमाओं से हटकर नागरिक समाजों में आ गए हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने जैविक हथियारों को लेकर भी चिंता व्यक्त की। अजीत डोभाल ने कहा कि खतरनाक रोगाणुओं को जानबूझ कर हथियारों का रूप दिया जाना एक गंभीर चिंता का विषय है। साथ ही, उन्होंने व्यापक राष्ट्रीय क्षमता बनाने और जैव-सुरक्षा निर्मित करने की जरूरत पर जोर दिया।
इसके साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए डोभाल ने कहा कि आपदा और महामारी का खतरा किसी सीमा के अंदर तक सीमित नहीं रहता और उससे अकेले नहीं निपटा जा सकता तथा इससे होने वाले नुकसान को घटाने की जरूरत है। पुणे इंटरनेशनल सेटर द्वारा आयोजित ‘पुणे डॉयलॉग’ में ‘आपदा एवं महामारी के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारियों’ पर बोलते हुए डोभाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा संदेश यह है कि सभी की भलाई ही सभी के जीवन को सुनिश्चित करेगी।
रोगाणुओं को हथियार का रूप दिया जाना चिंता का विषय
उन्होंने कहा, ‘खतरनाक रोगाणुओं को हथियारों का रूप दिया जाना एक गंभीर चिंता का विषय है। इसने व्यापक राष्ट्रीय क्षमताओं और जैव-सुरक्षा का निर्माण करने की जरूरत बढ़ा दी है।’ उन्होंने कहा कि महामारी ने खतरों का पूर्वानुमान करने की जरूरत को रेखांकित किया है और जैविक अनुसंधान के वैध वैज्ञानिक उद्देश्य हैं, इसके दोहरे उपयोग से नुकसान हो सकता है।
एनएसए ने जलवायु परिर्वतन के विषय पर कहा कि यह एक और खतरा है जिसके विविध और अप्रत्याशित प्रभाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित करता है जो दिनों-दिन कम पड़ता जा रहा है और यह प्रतिस्पर्धा के बजाय टकराव का कारण बन सकता है। जलवायु परिवर्तन अस्थिरता और बड़े पैमाने पर आबादी का विस्थापन बढ़ा सकता है।’
खुद में नव परिवर्तन लाने की जरूरत
डोभाल ने कहा, ‘2030 तक भारत में 60 करोड़ लोगों के शहरी इलाकों में रहने की उम्मीद है। जलवायु परिर्वतन के कारण दक्षिण एशिया में निचले इलाकों से विस्थापन पहले से दबाव का सामना कर रहे शहरी बुनियादी ढांचे पर बोझ और बढ़ा सकता है।’ उन्होंने कहा कि ये सभी आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन, आर्थिक सुरक्षा, जल और खाद्य सुरक्षा के लिए समस्या पैदा करेंगे। उन्होंने, ‘जहां तक राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरण की बात है, खुद में नव परिवर्तन लाने की जरूरत है क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वायत्त व मानवरहित प्रणालियों तथा डिजिटल बुनियादी ढांचों जैसी चौथी औद्योगिक क्रांति के जरिए तीव्र औद्योगिक विकास हो रहे है।’
सोशल मीडिया राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन को बना रहा जटिल
डोभाल कहा कि सोशल मीडिया राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन को जटिल बना रहा है। डोभाल ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में तरक्की खतरों को रोकने में मदद करेगी। सामरिक राष्ट्रीय भंडार का रखरखाव, उपलब्धता सुनिश्चित करना, अहम उपकरणों की सुगमता से आपूर्ति और पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना आदि राष्ट्रीय सुरक्षा योजना के अहम तत्व बन गए हैं। उन्होंने कहा कि अहम जलवायु परिवर्तन सम्मेलन नवंबर की शुरूआत में ग्लासगो में होने जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।’