यूरोप के कई देशों में कोरोना वायरस के एक बार फिर से अपना असली रूप दिखाने लगा है। ऑस्ट्रिया में गुरुवार को कोरोना वायरस के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बाद प्रांत की सरकारें लॉकडाउन लगाने की तैयारी में है। ऑस्ट्रिया की लगभग 66 फीसदी आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है, फिर भी पश्चिमी यूरोप के बाकी देशों की तुलना में वैक्सीनेशन की यह रफ्तार काफी कम है।
ऑस्ट्रिया में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। इस महाद्वीप में पिछले सात दिनों में एक लाख लोगों पर 971 केस मिले हैं। जैसे-जैसे सर्दी नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे पूरे यूरोप में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। नए केस में बढ़ोतरी के बाद सरकारों को एक बार फिर से लॉकडाउन लगाने पर विचार करना पड़ रहा है।
वहीं, नीदरलैंड ने आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया है। गुरुवार को रोजाना संक्रमण पहली बार 15000 को पार करते हुए 15,145 पर पहुंच गया है। एक साल पहले देश में कोरोना वायरस के 9,586 केस सामने आए थे और देश में पूरी तरह से लॉकडाउन लगा दिया गया था।
ऑस्ट्रिया के नौ प्रांतों में से अपर ऑस्ट्रिया में स्थिति ज्यादा खराब है। अपर ऑस्ट्रिया देश में टीकाकरण की आलोचना करने वाली फ्रीडम पार्टी का गढ़ माना जाता है। यहां पर टीकाकरण की रफ्तार काफी कम है। ऑस्ट्रिया मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वहां, के गवर्नर थॉमस स्टेलजर ने गुरुवार को कहा कि अगर पूरे देश में लॉकडाउन हीं लगाया गया तो उनके प्रांत में लॉकडाउन लगाया जाएगा।
न्यूज पेपर कुरियर ने स्टेलजर के हवाले से बताया है कि अगल कल देश स्तर पर लॉकडाउन का आदेश जारी नहीं होता है तो निश्चित रूप से साल्ज़बर्ग के साथ ऊपरी ऑस्ट्रिया में कई हफ्तों तक लॉकडाउन लगेगा। हम अपने पड़ोसी प्रांत (साल्ज़बर्ग) और संघीय सरकार के साथ समन्वय स्थापित करेंगे।