आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला बृहस्पतिवार को कोरेगांव भीमा जांच आयोग के समक्ष पेश हुईं। शुक्ला को पुणे में 2018 में युद्ध स्मारक पर हुई हिंसा से जुड़े मामले में समन जारी किया था। हालांकि, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह पेश नहीं हुए। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी शुक्ला आयोग के समक्ष पेश तो हुईं लेकिन उनका बयान दर्ज नहीं किया जा सका क्योंकि उन्होंने हलफनामा दाखिल करने लिए अतिरिक्त समय मांगा।
शुक्ला ने आयोग से कहा कि उन्हें अभी हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद के कार्यक्रम से जुड़े कुछ दस्तावेज पुणे पुलिस से प्राप्त नहीं हुए हैं। शुक्ला की अगली पेशी की तारीख अभी तय नहीं हो सकी है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जे एन पटेल की अध्यक्षता वाले दो सदस्यीय जांच आयोग ने इस साल 22 अक्टूबर को रश्मि शुक्ला और परमबीर सिंह को समन जारी किये थे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक इस आयोग के दूसरे सदस्य हैं। पुणे जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा के दौरान सिंह महाराष्ट्र के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) के पद पर थे जबकि शुक्ला पुणे की पुलिस आयुक्त थीं।
मुंबई में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को सिंह को उनके खिलाफ दर्ज वसूली मामले में ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित कर दिया है। सिंह इस साल मई में आखिरी बार कार्यालय आए थे जिसके बाद वह अवकाश पर चले गए। राज्य पुलिस ने बंबई उच्च न्यायालय को पिछले महीने बताया कि सिंह के बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है। वसूली मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने उन्हें भगोड़ा घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि आईपीएस अधिकारी को गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद भी उनका पता नहीं चल सका है।