अफवाहों में फंसकर दूसरा डोज लेने से बच रहे हैं लोग

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मुंबई सहित देशभर में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान को 10 महीने पूरे हो चुके हैं। पिछले 1 महीने से टीकाकरण की रफ्तार सुस्त है। बीएमसी के अनुसार, वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद कई लोग ऐसे हैं, जिनमें दूसरे डोज को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पहला डोज लगवाने के बाद कई लोग दूसरे डोज को जरूरी नहीं समझ रहे हैं। कई तरह की अफवाहों के चलते टीकाकरण की रफ्तार धीमी हुई है। प्रशासन काफी समय से इन अफवाहों के प्रति लोगों को जागरूक कर रहा है, बावजूद इसके कुछ लोगों में भ्रम बना हुआ है।

बता दें कि कोरोना टीका को लेकर आम लोगों में उत्साह के साथ-साथ भ्रम भी है। इसके चलते कई लोग टीका लेने से इनकार कर रहे हैं। इनमें पढ़े-लिखे लोग भी शामिल हैं। इन्हीं में से एक हैं यास्मीन खान। 35 वर्षीय यास्मीन ने अगस्त में कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज ली थी, लेकिन अब दूसरा डोज लेने से बच रही हैं। डोज न लेने के लिए वो कई तरह का तर्क दे रही हैं। यास्मीन का कहना है कि पहले डोज के बाद से ही वे बीमार पड़ने लगी हैं। उन्हें कई दिनों तक उन्हें बुखार रहा। इसके बाद से आज तक उन्हें कमजोरी लग रही है। इतना ही नहीं, बीच-बीच में उन्हें चक्कर तक आ चुके हैं।

यास्मीन के मन में यह भ्रम बना हुआ है कि जब पहले डोज में यह हाल हुआ तो दूसरे में क्या होगा? यास्मीन की तरह इंटीरियर डिजाइनर का काम करने वाले 30 वर्षीय सैय्यद जाफर मेहंदी भी अफवाह की चपेट में हैं। जाफर का कहना है कि वह तो वैक्सीन का डोज लेना ही नहीं चाहते थे, लेकिन काम की वजह से उन्होंने मजबूरी में पहला डोज ले लिया है। इनके पास भी वैक्सीन न लेने के लिए कई तर्क भी हैं। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर वैक्सीन के साइड इफेक्ट की कई खबरें हैं। उन्होंने बताया कि न्यूज में देश और विदेश में वैक्सीन लेने के बाद भी लोगों को कोरोना होने की और उनकी मौत होने की खबरें आ रही हैं, तो फिर वैक्सीन लेकर भी क्या फायदा? वैक्सीन न लेने की दूसरी अफवाह उन्होंने नपुंसकता बताई।

जाफर का कहना है कि कई लोगों ने वैक्सीन लेने से नपुंसकता का दावा किया है। पढ़े-लिखे लोगों में दूसरा डोज न लेनेवालों की श्रेणी में 28 वर्षीय शिवानी सिबाग भी शामिल हैं। शिवानी ने बताया कि उन्होंने पहला डोज दोस्तों के साथ उत्साह में ले लिया था, लेकिन इसके बाद से ही उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा। उन्होंने बताया कि इसको लेकर उन्होंने जब सोशल मीडिया पर जानकारी हासिल करनी चाही तो वैक्सीन के साइड इफेक्ट के उदाहरण देखकर घबरा गईं। शिवानी ने बताया कि वैक्सीन से उनके स्वास्थ्य को लेकर केंद्रों पर मौजूद डॉक्टरों के पास भी गईं, लेकिन किसी ने उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दिया। शिवानी की तरह कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने वैक्सीन का पहला डोज तक नहीं लिया है। कई अशिक्षित और धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों ने भी टीका लेने से इनकार किया है।

पौने पांच लाख लोगों ने नहीं लिया दूसरा डोज

काकानी ने बताया कि सिर्फ मुंबई में करीब पौने पांच लाख लोगों ने वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं लिया है। अब तक किए गए संपर्क में से 10 हजार लाभार्थियों का फोन बंद पाया गया है।

वैक्सीन लेने से 90 प्रतिशत बचाव

कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. गौतम भंसाली ने बताया कि कोरोना वैक्सीन एक इम्यूनोबूस्टर है, जो संक्रमण के साथ साथ आपकी इम्यूनिटी को वायरस के खिलाफ बढ़ाता है। इसके कई फायदे हैं। डोज के 14 दिन में यह आपके शरीर में पूरी तरह से असर दिखाता है। दूसरा डोज लिया जाए तो कोविड संक्रमण से 90 प्रतिशत तक बचा जा सकता है।

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