मुंबई – बैंक व्यवस्था की बेहतरी और जमा राशि बढ़ाने के लिए सरकार से बचत खाता ब्याज पर टैक्स छूट में प्रोत्साहन दिए जाने की उम्मीद कर रहे हैं. पुरानी टैक्स व्यवस्था में बचत खाते में जमा पर मिलने वाले ब्याज पर लगने वाले टैक्स पर एक तय सीमा तक छूट दी गई है, लेकिन नई टैक्स व्यवस्था में यह लाभ नहीं मिलता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से जुलाई में पेश किए जाने वाले आम बजट से इस बार हर किसी को काफी उम्मीदें हैं. आम आदमी चाहता है कि बैंक जमा पर अर्जित ब्याज पर सरकार टैक्स छूट की लिमिट बढ़ाए, जिससे वे उसमें ज्यादा पैसे रख सके. वहीं बैंक भी व्यवस्था की बेहतरी और जमा राशि बढ़ाने के लिए सरकार से इसमें प्रोत्साहन दिए जाने की उम्मीद कर रहे हैं. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या सरकार इस साल के बजट में आम लोगों और बैंकों को राहत देती है या नहीं.
टैक्स नियमों के अनुसार पुरानी टैक्स व्यवस्था में बचत खाते में जमा पर मिलने वाले ब्याज पर लगने वाले टैक्स पर एक तय सीमा तक छूट दी गई है, लेकिन नई टैक्स व्यवस्था में यह लाभ नहीं मिलता है. ऐसे में ज्यादातर लोग बैंक सेविंग्स अकाउंट में अपनी जमा रखने के बजाय दूसरे विकल्पों में निवेश कर रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय परिवार अपनी वित्तीय बचत में विविधता ला रहे हैं. वे गैर-बैंकों और कैपिटल मार्केट में अपना ज्यादा पैसा लगा रहे हैं. इससे ऋण-जमा रेशियो बिगड़ गया है. दिसंबर 2023 में यह 78.8% के शिखर पर पहुंच गया था, हालांकि मार्च के अंत में यह 76.8% तक कम हो गया. बता दें देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के ऋणदाता एचडीएफसी बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान अपने चालू खाता-बचत खाता (CASA) जमा में 5% की गिरावट दर्ज की थी. ऐसे में ऋण-जमा रेशियो को व्यवस्थित करने के लिए बैंक चाहते हैं कि सरकार बचत ब्याज पर टैक्स छूट को बढ़ाए, जिससे खाताधारक अकाउंट में ज्यादा पैसे रखें.
पुरानी कर व्यवस्था के तहत, बचत खातों से प्रति वर्ष 10,000 रुपए तक की ब्याज आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है. इसे आयकर अधिनियम की धारा 80TTA के तहत छूट मिली हुई है. वहीं 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50,000 रुपए तक है, इसमें धारा 80 TTB के तहत सावधि जमा से ब्याज आय शामिल है. हालांकि साल 2020 के बजट में पेश किए गए नए टैक्स रिजीम में यह लाभ हटा दिए गए. जिसके चलते खाताधारक बचत खाते में पैसे रखने की जगह दूसरी जगह पैसे लगा रहे हैं. बैंकों समेत कई दूसरी समीति बचत ब्याज आय पर टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाकर 25000 रुपए करने की मांग कर रहे हैं.