मुंबई – भारत में रिटेल महंगाई दर अभी भी 5% के आसपास बनी हुई है. रिटेल इंफ्लेशन को तय करने में सबसे अहम हिस्सेदारी होती है खाने-पीने की वस्तुओं के दाम की, जिसे हम खाद्य महंगाई कहते हैं. मौजूदा समय में देश की खाद्य महंगाई दर 8 से 9 प्रतिशत के बीच बनी हुई है. ऐसे में ये कब नीचे आएगी, इस बारे में अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की एक सदस्य ने पूरी कहानी समझाई है.
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल का कहना है कि भारत अभी हाई फूड इंफ्लेशन को देख रहा है, लेकिन भविष्य में ये ‘कम गंभीर’ समस्या होगी. इसकी वजह ये है कि आने वाले देशों में आधुनिक सप्लाई चेन डेवलप होंगी. साथ ही खाद्य आपूर्ति के अलग-अलग स्रोत मौजूद होंगे. इन दोनों की वजह से कुछ खास फूड प्रोडक्ट्स ( जैसे कि टमाटर, प्याज इत्यादि) की कीमतें अचानक बढ़ने पर रोक लगेगी.
देश में आम लोगों के घरेलू बजट का बड़ा हिस्सा रसोई या भोजन पर खर्च होता है. इस बात पर जोर देते हुए आशिमा गोयल ने कहा कि भारत में नीति को कृषि की प्रोडक्टविटी बढ़ाने पर केंद्रित होने की जरूरत है, क्योंकि कृषि जिंसों की कीमतें स्थिर रहनी चाहिए ताकि महंगाई का इस पर असर ज्यादा ना पड़े.