मराठी चित्रपट,धारावाहिका और मराठी नाट्य क्षेत्र के कलाकार, तंत्रज्ञ,व्यवस्थापक,तिकीट बेचने वाले, डोर किपर और अन्य सामग्री पुर्ती कर्ता, इक्विपमेंट लॉजिंग बोर्डिंग जैसे तत्सम लोगों की रोजी रोटी इस व्यवसायापर र्निभय है और
नाटकीय विज्ञापन भी महत्वपूर्ण है।
सबसे जादा टॅक्स भरनेवाली यह इंडस्ट्री हमेशा से उपेक्षित रहा है।आज भी इस क्षेत्र को उद्योग का दर्जा नही है, लेकिन यह आज का विषय नही है – ज्ञानेश्वर आंगणे दिग्दर्शके
आज भी इस क्षेत्र मे काम करने वाले लोग पिछले डेढ साल से बिना रोजगार के है, हमारा परिवार आज भी भूखे मर रहे और वे वापस उठने की कोशिश कर रहे हैं। आज फिर से घरपर बैठने और उनके बुझे चुल्हे देखने का वक्त आ गया है।
हमें आप की दया की भीक नही चाहिए, हम चाहते हैं की हम अपना काम फिर से गरिमा के साथ शुुरू करे। कृपया ईसपर विचार करें और हमे अपना काम करने दे।
हम अपने जीवन की परवाह करते हैं ! हम अपने परिवार के सदस्यें के जीवन कि भी परवाह करते हैं, इसलिए सरकार व्दारा दिए गए सभी शर्तो को ध्यान में रखकर हम अपना काम करेंगे!क्योंकि मेरा परिवार ही मेरी जिम्मेदारी हैं – प्रविण दळवी (नाट्यव्यवस्थापक)