दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने एक एफआईआर दर्ज की थी जिसमे जालसाज अपने आप को सीनियर अधिकारी बताकर और व्हाट्सप्प पर उन अधिकारियों की डिसप्ले पिक लगाकर लोगो के साथ ठगी कर रहे थे.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने एक एफआईआर दर्ज की थी जिसमे जालसाज अपने आप को सीनियर अधिकारी बताकर और व्हाट्सप्प पर उन अधिकारियों की डिसप्ले पिक लगाकर लोगो के साथ ठगी कर रहे थे. ये जालसाज बड़ा अधिकारी होने का झांसा देने के बाद किसी दिक्कत होने का बहाना बनाकर अमेज़ॉन गिफ्ट वाउचर के जरिये लोगो से पैसा ले लेते थे. ये गिफ्ट वाउचर जालसाज ने टेलीग्राम, Paxful.com और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराए हुए थे. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि ये गैंग नाइजीरिया से ऑपरेट हो रहा था.
पुलिस पहुचीं सिम कार्ड बेचने वाले रैकेट तक
पुलिस ने नाइजीरिया से ऑपरेट कर रहे इस रैकेट के इंडिया में मौजूद नेटवर्क पर काम करना शुरू किया तो दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पुणे से नितिन तोमर नाम के शख्स को गिरफ्तार कर लिया. जिसके पास से पुलिस को फेक डॉक्यूमेंट के जरिये हासिल किए गए 42 एक्टिव सिम कार्ड मिले. नितिन तोमर ने क्राइम ब्रांच को बताया कि उसने ये सिम कार्ड टेलीग्राम एप्प पर मौजूद एक ग्रुप के जरिये परमानन्द साहू नाम के शख्स से खरीदे है.
पुलिस बेचे गए सिम कार्ड की तलाश में
पैसा कमाने के चक्कर मे इन सिम (Sim) को नितिन तोमर (Nitin Tomar) आगे bullashop.com नाम की वेबसाइट (Website) के जरिये बेच रहा था. जिसके बाद पुलिस ने परमानन्द साहू (Paramanand Sahu) को लाल किले (Red Fort) के पास से 200 सिम कार्ड के साथ गिरफ्तार कर लिया. परमानंद साहू ने पूछताछ में बताया की सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के एग्जीक्यूटिव से वो ये सिम खरीदता था. जिसके लिए इंस्टाग्राम पर मौजूद कुछ ग्रुप के जरिये उसे आधार कार्ड मिल जाते थे. ये सिम वो महज 30 रुपये में ख़रीदता था. और आगे टेलीग्राम ग्रुप (Telegram Group) के जरिये ही इन एक्टिव सिम (Active Sim) को बेच देता था. जांच के दौरान क्राइम ब्रांच ने बाद में 143 सिम और इनकी निशानदेही पर बरामद कर लिए. पुलिस अब उन लोगो का पता लगाने में जुटी हैं जिन्हें ये सोशल मीडिया (Social Media) के माध्यम से ये एक्टिव सिम कार्ड बेच चुके है.