वैश्विक महामारी कोविड के कारण कई फ़िल्म निर्माताओ को अपनी फ़िल्में ओटीटी पर रिलीज करनी पड़ रही हैं। पिछले एक साल में अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, आयुष्मान खुराना, विद्या बालन सरीखे कई बड़े स्टार्स की फ़िल्में ओटीटी पर प्रदर्शित हुई हैं। विवान शाह और जोया अफरोज अभिनीत फ़िल्म कबाड़ द क्वाइन १७ मई को ओटीटी प्लेटफॉर्म एम एक्स प्लेयर पर प्रदर्शित होगी।
वरदराज़ स्वामी द्वारा निर्देशित फ़िल्म कबाड़ द क्वाइन में मुख्य भूमिका में विवान शाह और जोया अफ़रोज़ के साथ ही अतुल श्रीवास्तव, अभिषेक बजाज, इमरान हसनी, भगवान तिवारी, यशश्री मसूरकर, शहज़ाद अहमद महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नज़र आएँगे।
कबाड़ द कॉइन पैसे की ह्यूमन साइकोलॉजी है जो कि लव रोमांस, छल, फरेब कई तरह की भावनाओं को बयाँ करती है। अक्सर सुनने को मिलता है कि पैसा नहीं तो कुछ भी नहीं, पैसा ही सब कुछ है। मुझे पैसा चाहिये सही या गलत तरीके से कैसे भी आये। पूरी दुनिया में पैसे को लेकर एक मारा मारी चल रही है। एक युद्ध जैसा चल रहा है। सभी लोग पैसे के पीछे भाग रहे हैं और पैसा सभी को मार रहा है। इस विषय को कबाड़ द कॉइन के ज़रिये मनोरंजक तरीक़े से कहने की कोशिश की गई है।
कबाड़ द क्वाइन की कहानी मुम्बई के एक झोपड़पट्टी इलाके में रहने वाले बंधन नाम के एक लड़के से शुरू होती है। कबाड़ का काम करनेवाले बंधन को एक दिन बहुत कीमती सम्राट अकबर के ज़माने के पाँच सौ साल पुराने राम सिया सोने के सिक्के मिल जाते हैं तो वह आत्म विश्वास से भर जाता है। इसी बीच बंधन को एक हाई सोसाइटी की लड़की रोमा से प्यार हो जाता है। बंधन रोमा को एक सोने का सिक्का देकर अपने प्यार का इजहार करता है। रोमा को पता चलता है कि यह सोने के महँगे सिक्के हैं तो वह अपने बॉयफ्रेंड सैम के कहने पर बंधन से सिक्के लेने के लिए उससे प्यार का नाटक करती है। लेकिन रोमा को बंधन से प्यार हो जाता है। पैसे, प्यार और धोखे की कहानी दिलचस्प हो जाती है। क्या बधन रोमा के इस धोखे का शिकार हो जाता है? या बंधन के प्रेम में रोमा अपनी योजना बदल देती है। पैसे की लालच में अपनी प्रेमिका को इस्तेमाल करने वाला सैम क्या करता है। इसके लिए आपको एम एक्स प्लेयर पर १७ मई से फ़िल्म कबाड़ द क्वाइन देखनी पड़ेगी।
एम बी एन एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले निर्मित, फ़िल्म कबाड़ द क्वाइन के निर्माता बब्बन नेगी और मीरा नेगी हैं और सह निर्माता दीपक प्रजापत हैं। फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले और संवाद संयुक्त रूप से शहज़ाद अहमद और वरदराज़ स्वामी ने लिखे हैं। फ़िल्म में संगीत संदेश शांडिल्य का है।
निर्देशक वरदराज़ स्वामी ने कहा कि इस फ़िल्म का मुख्य आकर्षण विवान शाह हैं। आज के समय में एक निर्देशक को विवान शाह जैसा अभिनेता मिलना बहुत ही सुखद संयोग है। उस कलाकार का ऐसे परिवार में जन्म हुआ है जहां अभिनय और कला की बातें माता पिता के रोज़ की ज़िंदगी का हिस्सा होती हैं तो वह प्रतिभाशाली कलाकार और भी अधिक निखरकर सामने आता है। दुनिया भी उससे यही उम्मीद करती है। विवान शाह ने खुद को साबित किया है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि विवान शाह से सबसे चुनौती पूर्ण भूमिका निभायी जा सकती है। अभिनय उनके खून में है। मुझे उनके स्किल पर पूरा भरोसा है।
निर्माता बब्बन नेगी ने कहा कि कबाड़ द क्वाइन एक ज़रूरी फ़िल्म है जो समाज को नयी दिशा देने वाली फ़िल्म है। सबसे ख़ास बात यह है कि मनोरंजक तरीक़े से फ़िल्म एक बहुत महतवपूर्ण संदेश देती है लेकिन निर्देशक वरदराज़ बहुत ही रोचक अन्दाज़ में एक महतपूर्ण बात इस फ़िल्म के माध्यम से कह जाते हैं। हमें पूरा विश्वास है कि दर्शकों को यह फ़िल्म बहुत पसंद आएगी।
अभिनेता विवान शाह ने कहा कि “एक कबाड़ी वाले का किरदार निभाना बहुत ख़ास रहा। हम सब ने अपने रोजमर्रा के जीवन में सड़क पर हाथ गाड़ी खींचने वालों को देखा है। यह बहुत सामान्य लगता है ऐसा बिल्कुल नहीं है। निर्देशक वरदराज स्वामी और लेखक शहजाद अहमद ने मुझे एक कबाड़ीवाले की बारीकियों, बोलचाल को समझने और अपनाने में बहुत सहायता की। इसके अलावा, हम तीनों ने मुंबई की टपोरी भाषा के साथ बहुत ही एँज़ोय किया। मुझे टपोरी भाषा का आनंद लेना था क्योंकि यह वह भाषा है जिसे मैं अपने दोस्तों के साथ बालते हुए बड़ा हुआ हूँ। एक ऐसे किरदार को निभाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, जो मेरे अनुभव के दायरे से बाहर था। वरदराज स्वामी सबसे प्रतिभाशाली निर्देशकों में से एक हैं, उनके साथ काम करना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है; वह एक नए जमाने के फिल्म निर्देशक हैं।