B’day Special: लंदन में पढ़ाई, मां नहीं चाहती थीं अभिनेत्री बनाना, फिर ऐसे हुई सायरा बानो की फिल्मों में एंट्री

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60 के दशक में हिंदी सिनेमा जगत की खूबसूरत अभिनेत्रियों की गिनती में सायरा बानो का नाम आता था। वह 16 साल की थीं जब शम्मी कपूर के साथ फिल्म ‘जंगली’ में काम किया। दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो के परिवार में एक से बढ़कर एक दिग्गज रहे हैं। 23 अगस्त को सायरा बानो का जन्मदिन है। इस मौके पर बताते हैं उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्सों के बारे में। 

सायरा की मां भी एक अभिनेत्री थीं

सायरा की मां एक्ट्रेस नसीम बानो थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनके पिता एहसान खान फिल्म प्रोड्यूसर थे जो कि बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से चले आए थे। बहुत ही कम लोगों को पता है कि 1940 के दशक में नसीम बानो एक सफल अभिनेत्री थीं। वह इतनी खूबसूरत थीं कि उन्हें ‘परी चेहरा’ कहा जाता था। उन्होंने हिंदी सिनेमा के दिग्गज सोहराब मोदी के प्रोडक्शन की कई फिल्मों में काम किया। उनकी फिल्म ‘पुकार’ सबसे हिट रही थी जिसमें वह महारानी नूरजहां के किरदार में थीं। 

मां के लिए पढ़ाई जरूरी था

नसीम हमेशा से चाहती थीं कि उनकी बेटी को अच्छी शिक्षा मिले। द हिंदू के साथ एक इंटरव्यू में सायरा बानो ने खुलासा किया था कि ‘मैं लंदन के एलिट स्कूल क्वींस हाउस से पढ़ी हूं। मेरी मां नसीम को फिल्म इंडस्ट्री का परी चेहरा या खूबसूरती की रानी कहा जाता था। उन्होंने जब मुझे उनके घाघरा, लिपस्टिक में उनकी फिल्मों के गानो पर डांस करते हुए देखा तो मुझे लंदन ले गईं। उनके लिए फिल्मों से ज्यादा पढ़ाई जरूरी थी। मेरी नानी, मां और मेरा भाई सुल्तान मेरे साथ रहते थे जिससे मैं पढाई पर ध्यान दे सकूं।‘ 

बड़े लोगों का आना-जाना

सायरा की नानी एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका थीं। उनके घर में हमेशा कला, संस्कृति वाला माहौल था। वह आगे कहती हैं कि ‘मेरी नानी शमशाद बेगम जानी-मानी शास्त्रीय गायिका थीं जो लंदन में रहती थीं। हम घर पर फिल्म, संगीत और साहित्य से जुड़े कई लोगों को देखते थे। इनमें बड़े गुलाम अली खान, महबूब खान, ख्वाजा अहमद अब्बास, के आसिफ सहित अन्य लोग नियमित रूप से हमसे मिलने आते थे। उस वक्त रामानंद सागार, कमाल अमरीह फिल्म ऑफर करते थे लेकिन मेरी मां उनसे कहती थीं इनके सामने फिल्म की बातें ना करें।‘

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