पंकज त्रिपाठी गांव के रहने वाले हैं और गावं के रहने वालों के लिए शहर की चकाचौंध आंखें चौंधियाने वाली होती हैं. माटी से जुड़े माटी के कलाकार पंकज त्रिपाठी ..
जो कम से कम आज के वक्त में तो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. इनके बारे में हम क्या कहें. इसके लिए इनका काम ही काफी है. ये वो कलाकार हैं जो पर्दे पर निभाए अपने किरदारों से हर किसी के दिलों में बसते हैं. मिर्जापुर, फुकरे, स्त्री ऐसी न जाने कितनी फिल्में हैं जिनमें इनका दमदार किरदार और एक्टिंग लीड रोल पर भी भारी पड़ा. आज भले ही ये मुंबई में बस चुके हैं. लेकिन जब ये पहली बार अपनी पत्नी के साथ इस मायानगरी में आए तो इन्हें कई साल लगे इसे अपनाने में.
सालों बाद मुंबई शहर लगा था अपना
पंकज त्रिपाठी गांव के रहने वाले हैं और गावं के रहने वालों के लिए शहर की चकाचौंध आंखें चौंधियाने वाली होती हैं. जब पंकज मुंबई में आए तो उनके लिए शहर की चकाचौंध तो कोई नई बात नहीं थी क्योंकि वो पहले दिल्ली में कई साल गुजार चुके थे. वो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के स्टूडेंट रहे हैं. लिहाजा मुंबई में उन्हें ज्यादा दिक्कत तो नहीं हुई लेकिन ये शहर उन्हें ढाई तीन साल में रास आया था. इससे पहले उन्हें ये अपने घर जैसा नहीं लगता था. लेकिन धीरे-धीरे मुंबई उन्हें जम गई और वो इसी मुंबई के हो गए. आज मुंबई उन्हें अपने घर की तरह लगती है. जहां रहना उन्हें खूब पसंद है लेकिन आज भी उन्होंने गांव से रिश्ता नहीं तोड़ा.
मड आइलैंड में रहते हैं पंकज त्रिपाठी
पंकज त्रिपाठी भले ही शहर में रच बस गए हों. लेकिन उन्होंने गांव से नाता नहीं तोड़ा है. यही कारण है कि मुंबई शहर की आपा धापी से दूर उन्होंने मड आइलैंड में अपना आशियाना बनाया है. जहां न ट्रैफिक का शोर है ना ही तेज रफ्तार में दौड़ते वाहन. यहां गांव सा सुकून और शांति है. वहीं एक बार इंटरव्यू में पंकज त्रिपाठी ने खुद को नशेड़ी ट्रैवलर कहा था वो इसलिए क्योंकि पंकज त्रिपाठी को घूमना फिरना बहुत ही पसंद है और वो लगातार कई महीनों तक वेकेशन पर जा सकते हैं.