मुंबई – भोजपुरी की ये बिडम्बना है की भोजपुरी सिनेमा से जुड़े हुए लोग भी दुहाई देते है की “फूहड़ता अश्लीलता और दो अर्थी शब्दों से भोजपुरी बाहर नहीं निकल पा रहा है”. सिनेमा में इसके लिए पहल ज़रूर हुई है, टीवी फिल्मों के ज़रिये। लेकिन अल्बम गीतों में ये कोशिश शुन्य के बराबर है, बड़े बड़े स्टार आज भी ओंछी हरकतों वाले, बेतुके बोल वाले गीत और आर्केस्टा के शोर वाले संगीत से बाहर नहीं निकल पा रहे है. ८ जुलाई को भोजपुरी का एक म्यूजिक अल्बम रिलीज हुआ, जिसका नाम है..मोहिनी. और इस अल्बम के गीत के बोल है “मोहिनी पे कउनो मोहा गईला का हो, भुला गईला का हो”
इस गीत को स्वर दिया है, अक्षरा सिंह ने, जिसे संगीत से संवारा है, भोजपुरी के सबसे बेहतरीन संगीतकार मधुकर आनंद ने और संगीत में शब्दों को पिरोया है, विनय बिहारी ने. “द आइकॉन भोजपुरी बवाल” ने मोहिनी को रिलीज किया है. इस गीत का वीडियो देख कर आप एक दम चौंक सकते है, फूहड़ता और अश्लीलता की दुहाई देने वाले मातम मना सकते है, क्योकि इस गीत ने भोजपुरी को नॉन क्रिएटिव के टैग को नोच के फेंक दिया है, और साबित कर दिया है की हम भोजपुरिया भी हिंदी सिनेमा के सम्मुख गर्व से खड़े हो सकते है.
वेंकट महेश ने इस अल्बम का निर्देशन और छायांकन किया है, बेहतरीन फ्रेमिंग, बेहतरीन लाइटिंग की समझ, कास्ट्यूम के रंग और कैमरा एंगल का ज्ञान,जो स्क्रीन पर जादू बिखेर देता है. आप कन्फ्यूज हो जाते है की सिंगर भोजपुरी गाना रही है या हिंदी?आपको भ्रम होता है की क्या आप सच में भोजपुरी गाना ही देख रहे है? ये गीत फिल्माया गया है, अक्षरा सिंह और अंशुमान सिंह राजपूत पर… अक्षरा सिंह, जो सौम्य रूप लावण्य की मल्लिका तो पहले से है ही, उनकी आमद स्क्रीन को और भी रुपहला बना देता है,अक्षरा सिंह का अभिनय ऐसा है की जब दर्द भरे दृश्य आते है,तो उनके चंचल और शरारती चेहरे का एक्सप्रेशन अचानक दर्द में बदल जाता है, और आप को स्मिता पाटिल और शबाना आज़मी जैसी अदाकारा याद आ जाती है, अक्षरा सिंह के चेहरे के हाव-भाव उनके अभिनय में गहराई और बारीकियाँ जोड़ते हैं। जब तक अक्षरा सिंह स्क्रीन पर रहती है,आप अक्षरामय रहते है.
गाने के हीरो है, अंशुमान सिंह राजपूत, जिन्हें टीवी सिनेमा का लकी चार्म भी कहा जाता है, अगर आपने अंशुमान सिंह की फ़िल्में देखी होंगी, तो पता होगा की वो एक्टर अच्छा है, भोजपुरी एक्टरों में वो सबसे अलग है, लेकिन जब अंशुमान को आप इस गीत में देखंगे, तो आप थोड़ा हैरान हो जायेंगे, की ये एक्टर हिंदी फिल्मों के लिए बना है, भोजपुरी में अपना वक़्त क्यों ज़ाया कर रहा है,खैर ये उनका व्यक्तिगत मसला है. अक्षरा के साथ अंशुमान की जोड़ी स्क्रीन पर हैरान कर देने वाली लगाती है, दोनों बेहतरीन एक्टिंग कर गए,कमाल की कमेस्ट्री है दोनों में, उनका अभिनय आँखों ही आँखों में बहुत कुछ कह जाता है. दोनों ने एक यादगार प्रोजेक्ट दे दिया है,जो हमेशा याद रखा जायेगा।
मोहिनी ने साबित तो कर दिया है की भोजपुरी वाले भी हिंदी जैसा बेहतरीन काम कर सकते है, अभी ये शुरुआत है,लोगों को पहल जारी रखनी होगी,इस गीत को म्यूजिक अवार्ड के लिए भी भेजा जाना चाहिए, और फिल्म फेस्टिवल का हिस्सा भी बनाना चाहिए, भले ही अवार्ड मिले न मिले, परन्तु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोग ये तो समझ जायेंगे की भोजपुरी संगीत और सिनेमा अब बदल रहा है.
८ जुलाई को रिलीज हुए इस अल्बम का एक पहलू और भी है,अक्षरा सिंह की जो लोकप्रियता है उसके मुकाबले इस गीत को अब तक ५ मिलियन से ज़्यादा देखा जाना चाहिए था, जो नहीं हुआ, ये दुखद है, कई सवाल खड़े करता है. उसमे सबसे पहला सवाल ये है की क्या भोजपुरी के दर्शक ढोंडी, कमर और नायिका के शरीर के उभारो से आगे नहीं बढ़ सकता? उसको इसी की आदत हो चुकी है? उसको कला,क्रिएटिविटी से कोई लेना देना नहीं? क्या दर्शक ही गलत है? क्या इसी लिए दूसरे मेकर कुछ अच्छा करने की हिम्मत नहीं कर सके? इन सवालो की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? दर्शक या भोजपुरी मेकर?
इन सवालों के बिपरीत कुछ और भी वजहें है, जिस पर भविष्य में भोजपुरी मेकर्स को धयान देना होगा, सबसे पहली बात जिस दिन गाना रिलीज हुआ मुंबई और कई शहरों में खतरनाक बारिश थी, मध्यवर्ग के लोग बारिश में उलझे हुए थे, खास कर मुंबई में क्युकी ज़्यादातर भोजपुरी भाषी चालों में रहते है और बारिश इतनी उफान पर थी की लोग घरों में पानी न घुस जाए, इस भय से आतंकित थे. फिर जिस दिन गाना रिलीज हुआ उस दिन ८ तारीख थी, ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ८ नंबर पूरी दुनिया में, नए काम के लिए शुभ नहीं माना जाता है. जापान चीन जैसे देशो में तो ८ नंबर के घर और फ्लोर तक नहीं बनाये जाते है. सिनेमा से जुड़े लोग इसे आडम्बर मानते है,उनके लिए सब नंबर सामान है,लेकिन दो दशक पहले तक यही सिनेमा इंडस्ट्री हर काम के लिए ज्योतिष और धर्म का सहारा लेती थी, और बेकार से बेकार प्रोजेक्ट भी हिट हो जाया करते थे, अन्धविश्वास ही सही, अपने प्रोजेक्ट के लिए इतना तो किया जा सकता है. खैर, “द आइकॉन भोजपुरी बवाल”, अक्षरा सिंह, अंशुमान राजपूत,मधुकर आनंद,विनय बिहारी और खास कर वेंकट महेश बधाई के पात्र है. जिन्होंने एक नयी पहल किया है, अब ये कारवाँ आगे बढ़ता रहे…थमे नहीं,रुके नहीं।