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मिसाइल बनाने वाले बना है जीवनरक्षक

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मिसाइल बनाने वाले हाथ आज Oxygen और दवा बना रहे।

मिसाइल और रक्षा उपकरण बनाने वाले हाथ आज कोरोना महामारी में जीवनरक्षक बनकर सामने आए हैं. ये है डीआरडीओ जिसने Oxygen और कोरोना से बचाने के लिए दवा बनाई है. जानिए क्या है डीआरडीओ कैसे बना है जीवनरक्षक…

देश की रक्षा के लिए कृत संकल्पित रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने अगले तीन महीने में अपनी पूरी पद्धति बदल ली है. जो हाथ कभी मिसाइल आर्मामेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में अनुसंधान कर देश की रक्षा के लिए उपकरण बनाते थे, वे हाथ आज ऑक्सीजन, जीवनरक्षक दवा और अस्पताल बनाकर लोगों की जीवन की रक्षा में रात दिन लगे हुए हैं. डीआरडीओ ने  500 ऑक्सीजन प्लांट्स बनाने का फैसला किया है और साथ ही एक बेहतरीन दवा खोज निकाली है जिससे कोरोना मरीजों को बचाने में बड़ी मदद मिलेगी.

क्‍या आप जानते हें कि DRDO क्‍या है और क्‍यों ये संस्‍थान ऑक्सीजन प्लांट्स बना रहे हैं. क्‍या है इनकी जिम्‍मेदारी… 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के अधीन एक एजेंसी है. सेना के अनुसंधान और विकास का मुख्यालय दिल्ली में है. इसका गठन 1958 में तकनीकी विकास प्रतिष्ठान के विलय और रक्षा विज्ञान संगठन के साथ भारतीय आयुध कारखानों के तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय के लिए किया गया था.

डीआरडीओ अपनी 52 प्रयोगशालाओं के एक नेटवर्क के साथ विभिन्न क्षेत्रों को कवर करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने का काम कर रहा है.

डीआरडीओ एयरोनॉटिक्स, आर्मामेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, जीवन विज्ञान, मिसाइल और नौसेना प्रणाली पर काम कर रहा है, लेकिन आज इस महामारी के दौर में ये अपनी जिम्मेदारी जीवनरक्षक बनकर निभा रहा है.

डीआरडीओ भारत का सबसे बड़ा और सबसे विविध अनुसंधान संगठन है. इस संगठन में रक्षा अनुसंधान एवं विकास सेवा से जुड़े लगभग 5,000 वैज्ञानिक और लगभग 25,000 अन्य वैज्ञानिक, तकनीकी और सहायक कर्मी शामिल हैं.

कोरोना के इन हालातों में DRDO ने भारत के पहले हल्के लड़ाकू विमान तेजस (Fighter Jet Tejas) में उड़ते हुए ऑक्सीजन बनाने की तकनीक से ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का इंतजाम किया है. इस तकनीक से जैसे तेजस में उड़ते हुए विमान में ही ऑक्सीजन बना ली जाती है, अब ऑक्सीजन बनाने की वही तकनीक सबको उपलब्ध कराई जा रही है.

इसके अलावा डीआरडीओ ने कोरोना रोधी दवा भी खोज निकाली है, जिसे भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने देश में निर्मित कोविड रोधी दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. मुंह के जरिए ली जाने वाली इस दवा को कोरोना वायरस के मध्यम से गंभीर लक्षण मरीजों के इलाज में इस्तेमाल करने की अनुमति सहायक पद्धति के रूप में दी गई है.

इस दवा को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला नामिकीय औषिध तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएनएमएएस) ने हैदराबाद के डॉ. रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर विकसित किया है. इस दवा का नाम 2-डीजी है. इसका पूरा नाम 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज है. सामान्य अणु और ग्लूकोज के अनुरूप होने की वजह से इसे भारी मात्रा में देश में ही तैयार और उपलब्ध कराया जा सकता है.

डीआरडीओ की ये 2-डीजी दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती है, इसे पानी में घोल कर पीना होता है, जिस तरह से गैस और बदहजमी के लिए इनो पाउडर पानी में घोलकर पीते हैं, उसी तरह 2-डीजी को भी पिया जा सकेगा.

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