क प्रेस कांफ्रेंस में डीजीपी ने कहा कि औसत हर महीने 50 हत्याएं हुई हैं। उन्होंने हालांकि पिछले दो वर्षों के आंकड़े देते हुए स्पष्ट करना चाहा कि हत्याओं के मामलों में मामूली कमी ही आई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल 724 हत्याएं यानी हर महीने औसत हत्या की 60 से ज्यादा घटनाएं हुई थीं। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व 2020 में 757 हत्याएं हुई थीं।
भावरा ने कहा कि इस तरह यह कहना ठीक नहीं होगा कि हत्याओं की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि मामूली ही सही लेकिन कमी आई है। इसके साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि पुलिस के लिए यह कोई ‘खुश होने वाली‘ बात नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता के सहयोग से पुलिस हालात पर काबू पा सकती है।
उन्होंने बताया कि 158 में से छह मामले ‘संगठित अपराध‘ यानी गिरोहबाजों से संबंधित हैं जिनमें 24 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और अपराधों में इस्तेमाल हथियार और वाहनों की भी जब्ती हो चुकी है। उन्होंने कहा कि संगठित अपराधों के चार मामलों को रोका गया गया है।
हाल ही में मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश पर गठित गिरोहबाज विरोधी टास्क फोर्स (एजीटीएफ) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 545 गिरोहबाजों को चिह्नित किया गया है और इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें से 515 ऐसे हैं जो कभी न कभी गिरफ्तार भी किया जा चुके हैं और कुछ जेलों में हैं तो कुछ जमानत पर बाहर भी लेकिन पुलिस सबकी गतिविधियों पर नजर रखी हुई है।
डीजीपी ने जनता से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि जिन आपराधिक वारदातों के पीछे पारिवारिक, वैवाहिक विवाद या आपसी रंजिश जैसे कारण होते हैं। उन्हें पुलिस, अदालतों या समाज के पास जाकर सुलझाने की कोशिश की जाए, तो उन्हें टाला जा सकता है।